Haryana News: विधानसभा में अभय चौटाला बोले, बेरोजगारी के कारण खाली हो गए गांव के गांव
Haryana News: सत्र के दौरान अभय चौटाला ने कहा कि विदेश जाने के लिए बच्चे अपने मां-बाप को जमीन बेचने के लिए मजबूर करते हैं. इनमें से बहुत सारे बच्चे स्टडी वीजा पर जाते हैं और बहुत सारे ऐसे हैं जो डोंकी के द्वारा जाते हैं. विदेश जाने के बाद उनके साथ जो बड़ी अनहोनी होती है वो और भी दुखदाई है.
Haryana Vidhansabha Satra: शुक्रवार से शुरू हुए विधानसभा के मॉनसून सत्र के शून्यकाल के दौरान ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला ने प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी के कारण विदेशों में जा रहे युवाओं का मुद्दा उठाया. उन्होंने कहा कि वे परिवर्तन यात्रा के दौरान 76 विधानसभा क्षेत्रों में होकर आए हैं. इस दौरान हैरान करने वाली जानकारियां मिली हैं. गांव के गांव खाली हो गए हैं. केवल इसलिए कि युवाओं के पास नौकरी नहीं है, रोजगार नहीं है. पढ़े-लिखे नौजवानों का भाजपा गठबंधन सरकार से भरोसा पूरी तरह से उठ चुका है और मजबूर होकर नौकरी और रोजगार के लिए विदेशों की तरफ रुख कर रहे हैं.
डोंकी विजा पर विदेश जा रहे लोग
विदेश जाने के लिए बच्चे अपने मां-बाप को जमीन बेचने के लिए मजबूर करते हैं. इनमें से बहुत सारे बच्चे स्टडी वीजा पर जाते हैं और बहुत सारे ऐसे हैं जो डोंकी के द्वारा जाते हैं. विदेश जाने के बाद उनके साथ जो बड़ी अनहोनी होती है वो और भी दुखदाई है. करनाल जिला का जिक्र करते हुए कहा कि रोड, लबाना और राजपूत बिरादरी के बच्चे विदेशों में बहुत ज्यादा जा रहे हैं जिसके कारण गांव के गांव खाली हो गए हैं. कोई दिन ऐसा नहीं है कि जब विदेश से किसी बच्चे की डैड बॉडी न आती हो. वहीं जो बच्चे जमीन बेचकर डोंकी द्वारा जाते हैं और जब उन्हें डिपोट कर दिया जाता है तो वापिस भारत आने पर उनका सारा परिवार बर्बाद हो जाता है. उन्होंने पूछा कि क्या सरकार ने इस तरफ कोई ध्यान दिया है? क्या सरकार डोंकी करवाने वाले एजेंटों के खिलाफ कोई कार्रवाई करेगी? क्या सरकार प्रदेश के पढ़े लिखे युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का कोई आश्वासन देगी? अगर आश्वासन देगी, तो बताएं कि रोजगार कैसे उपलब्ध कराएंगे?
कहां गए पैसे
अभय सिंह चौटाला ने बाढ़ से हुए नुकसान पर दिए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर सवाल पूछा कि 19 जनवरी 2023 को फ्लड कंट्रोल बोर्ड की स्टेट लेवल मीटिंग हुई थी, इसमें 1100 करोड़ के 528 प्रोजेक्ट मंजूर हुए थे जो ड्रेनेज, पानी निकासी, री-यूज, जल संरक्षण और पानी के पुन: उपयोग, भूजल, ड्रेनेज निर्माण, चौड़ा करने आदि पर खर्च करने के लिए स्वीकृत हुए थे. सरकार यह बताए कि कौन-कौन सी ड्रेन की सफाई की गई? और पूरे विवरण के साथ बताएं कि 1100 करोड़ रूपए कहां-कहां और कैसे-कैसे खर्च किए गए?
मुख्यमंत्री को लिखा था पत्र
बाढ़ के दौरान बांध के लिए मिट्टी डलवाने के लिए मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था, लेकिन सरकार की तरफ से बांध बनाने में कोई मदद नहीं की गई. सरकार की तरफ से बांध बनाने के लिए कोई बंदोबस्त नहीं किए गए. किसानों को 30 से 50 किमी से मिट्टी लाकर 5 फुट तक मिट्टी चढ़ानी पड़ी थी. सरकार ने किसानों को डीजल के पैसे भी नहीं दिए. मैंने अपनी तरफ से बांध के लिए डीजल के 50-50 हजार रूपए दिए थे. बांध के लिए जुटे किसानों के लिए बिजली के बल्ब का भी प्रबंध नहीं था वो भी मैने एसडीओ को कह कर लगवाया था. मुख्यमंत्री ने जो 4 करोड़ 80 लाख रूपए देने की बात की है वो बताएं कि कैसे दिए? सरकार दावा कर रही थी कि दो दिन में पानी निकाल देंगे लेकिन फतेहाबाद में आज भी हजारों एकड़ में पानी भरा हुआ है. सरकार बताए कि क्या बाढ़ से खराब हुई फसल का मुआवजा किसानों को देगी? घग्गर के पानी के कारण जो फसलें खराब हुई हैं क्या सरकार उनको मुआवजा देगी?