Health Update: कहीं आप भी तो नहीं खाते गैस की ये दवा, जांच में सैंपल निकले फर्जी
Health News: इन दिनों जो दवाईयां आप खा रहे उन दवाइयों की क्वालिटी सवालों के घेरे में आ चुकी है. भारत में पहले नंबर पर एसीडिटी की दवा पैंटाप्रेज़ोल और डोमपेरिडोन का कॉंबिनेशन बिक रहा है, लेकिन इसमें से ज्यादातर नकली हैं.
Health News: हाल ही में सरकार ने अपनी वेबसाइट पर दवाओं की जांच की जो रिपोर्ट जारी की है उसे देखकर आप बीमार महसूस कर सकते हैं. जुलाई महीने में चेक की गई दवाओं की रिपोर्ट अगस्त में जारी की गई है. हो सकता है कि जो दवा आप इलाज के लिए लाए हों उसकी क्वालिटी भी सवालों के घेरे में आ चुकी हो. सरकार की जांच में 53 दवाएं फेल हो गई. 50 दवाएं या तो तय मानक से कम सामान वाली थी, या उसके घुलने में समस्या थी या उसकी लेबल की जानकारी में गड़बड़ी थी.
इन दवाओं का भारतीय करते हैं सबसे ज्यादा इस्तेमाल
लेकिन, इनमें से तीन दवाएं ऐसी थी जिनके निर्माता ने ही उन्हें अपना मानने से इंकार कर दिया यानी वो दवा मार्केट में कैसे पहुंची ये पता नहीं चल पाया. अब सरकार इस बात की जांच कर रही है कि ऐसी नकली दवा को बाजार तक पहुंचाने वाला कौन है और ऐसी कितनी दवाएं मार्केट में मौजूद हैं जो नकली हैं. इस वक्त तस्वीरों में आप जो दवा देख रहे हैं उसे हम भारतीय सबसे ज्यादा खा रहे हैं. ये गैस और एसिडिटी और गैस से बचाने वाली दवा पैंटोप्राज़ोल है.
ये भी पढ़ें- Exercise During Periods: क्या? पीरियड में एक्सरसाइज करनी चाहिए या नहीं, बस इन बातों का रखें ख्याल
जो बाजार में पैन डी और पैन 40 जैसे कई ब्रांड नेम से बिकती है, लेकिन हाल ही में दवाओं की जांच में इस दवा के नकली बैच पकड़े गए हैं. भारत सरकार के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने बाजार से दवाओं के जो सैंपल जांच के लिए उठाए उनमें से 53 दवाएं क्वालिटी टेस्ट पास नहीं कर सकी और तीन दवाएं फर्जी यानी नकली मिली. इन तीन में दो दवाएं एसिडिटी की हैं. हाल ही में सरकार के ड्रग डिपार्टमेंट ने दवाओं के 1306 सैंपल जांच के लिए उठाए थे, जिनकी रिपोर्ट पिछले सप्ताह सार्वजनिक की गई है.
भारत में मौजूद 10 हजार जन औषधि स्टोर्स के डाटा के मुताबिक भारत में पहले नंबर पर एसीडिटी की दवा पैंटोप्राज़ोल और डोमपेरिडोन का कॉंबिनेशन बिक रहा है. इसे आप ब्रांड नेम Pan D के नाम से जानते हैं. अब आप उन तीन दवाओं की डिटेल भी देख लीजिए, जिनके सैंपल्स को फर्जी घोषित किया गया है. Pantoprazole Gastroresistant Tablets IP यानी PAN 40 के नाम से बिक रही बड़ी दवा के फर्जी होने का शक जताया गया है. इसके अलावा Pantoprazole GastroResistant and Domperidone Prolonged Release Capsules शामिल है इसे बाजार में Pan D के नाम से बेचा जा रहा है.
ये भी पढ़ें- Corn Benefits: किसी दवा से कम नहीं मकई का एक-एक दाना, जानें इसके सेवन के फायदे
एंटीबायोटिक के मामले में भी बड़ा खुलासा
इन तीनों दवाओं के निर्माताओं ने सरकार को बताया है कि जो बैच नंबर चेक किया गया है वो बैच उन्होंने बनाया ही नहीं, यानी ये फर्जी हो सकती हैं. हालांकि अब ड्रग डिपार्टमेंट इस बात की जांच कर रहा है कि सच क्या है. इसके अलावा क्वालिटी टेस्ट में जो दवाएं फेल हुई हैं उनमें एसीडिटी कम करने की दवा, बुखार की दवा, एंटीबायोटिक और कई ऐसी दवाएं शामिल हैं जो लोग केमिस्ट से लेकर खा लेते हैं.
- एंटीबायोटिक दवा Amoxycillin & Potassium Clavulanate Tablet
हाई ब्लड प्रेशर के इलाज की दवा AMLODIPINE AND ATENOLOL
डायबिटीज की दवा Metformin Hydrochloride
एसिडिटी कम करने की दवा Rabeprazole
Folic Acid की दवा शामिल हैं.
असली या नकली, कैसे करें पता
कानून के मुताबिक कौन सी दवा नकली मानी जाती है वो भी आपको जानना चाहिए. ड्रग एंड कॉस्मेटिक एक्ट के मुताबिक कोई दवा कंपनी ऐसी दवा बनाए, जिसके लिए उसके पास मंजूरी ना हो. दवा के लेबल पर छपी जानकारी गलत हो. दवा में कोई ऐसा तत्व मिला हो जो उस दवा का हिस्सा ही नहीं है. देश में बढ़ रहे नकली और घटिया दवाओं के फ्रॉड को रोकने के लिए सबसे ज्यादा बेची और खरीदी जाने वाली दवाओं के लिए ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ व्यवस्था शुरू करने की योजना बनाई गई है.
इस व्यवस्था के पहले स्टेज में दवा कंपनियां सबसे ज्यादा बेचने वाली 300 दवाओं के लेबल पर बारकोड या क्यूआर (quick response-QR) कोड प्रिंट करेंगी. कुछ दवाओं पर आपको क्यूआर कोड मिलने लगा होगा, जिसे स्कैन करने पर आप दवा की पूरी जानकारी हासिल कर सकेंगे. दवा कंपनी के नाम से लेकर दवा की एक्सपायरी डेट तक सब क्यूआर कोड स्कैन करने से पता चल सकेगा.
हालांकि सरकार का दावा है कि भारत में बिकने वाली कुल दवाओं में से 0 या 3 प्रतिशत ही नकली होती हैं, लेकिन अलग-अलग एजेंसियों के दावे अलग-अलग हैं. WHO के मुताबिक विकासशील देशों में बिकने वाली 10 प्रतिशत से ज्यादा दवाएं नकली हैं और भारत इस लिस्ट में शामिल है. भारत की फार्मेसी ऑफ द वर्ल्ड की छवि को बरकरार रखने के लिए अब दवा कंपनियों के लिए नियम कानून कड़े करने से लेकर रेड्स और सैंपल चेकिंग बढ़ाई जा रही है.
(इनपुटः पूजा मक्कड़)