Normal And Viral Fever: मौसम बदलने के कारण लोगों को खांसी, सर्दि-जुकाम और बुखार जैसी बीमारी होना आम बात है. अक्सर आपने देखा होगा कि जब-जब मौसम में बदलाव आते हैं तब-तब हमारा शरीर इन बीमारियों से प्रभावित हो जाता है. इस मौसम में बीमारियों से लड़ने के लिए हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. जिससे बैक्टीरिया और वायरस जल्दी फैलना शुरू हो जाते हैं. इससे हमें सर्दी, खांसी, बुखार और सिरदर्द जैसी समस्या होने लगती है. ऐसे में लोग इस मौसम में नॉर्मल और वायरल फीवर दोनो से प्रभावित हो सकते हैं. ऐसे में दोनो के बीच फर्क करना थोड़ा मुश्किल हो जाता है. ये दोनो ही फीवर शरीर में हल्का बुखार और सिर दर्द से शुरू होते हैं. नॉर्मल और वायरल फीवर में अंतर करना बहुत महत्वपूर्ण होता है क्योंकि दोनो के उपचार और लक्षण अलग-अलग होते हैं. इन दोनो में अंतर करना जरूरी है ताकी समय रहते हैं इसका इलाज किया जा सके. 


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बुखार कितने दिनो तक रहता है
नॉर्मल फीवर ज्यादातर हल्का होता है और ये दवा लेने से ठीक भी हो जाता है. इसके मुकाबले वायरल फीवर अधिक खतरानक होता है क्योंकि ये इन्फ्लूएंजा और डेंगू जैसी बीमारियों का संकेत दे सकता है. वायरल फीवर दवा के खाने से फभी ठीक नहीं होता है. इसको उतरने में 1 हफ्ते का समय लग जाता है. 


टेम्प्रेचर शरीर का कितना होता है
नॉर्मल फीवर लगभग 100 से 102 डिग्री फारेनहाइट तक होता है. और इसके होने का मुख्य कारण वायरस या बैक्टीरिया हो सकता है. ये कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है. वहीं वायरल फीवर 104 डिग्री फारेनहाइट तक होता है. इसका मेन कारण वायरस होता है. इसके लक्षण ठंड लगना, शरीर दर्द, सिरदर्द और थकान हो सकते हैं.  


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दोनो के वायरस में फर्क 
नॉर्मल फीवर की वजह बैक्टीरिया या वायरस हो सकते हैं. इस फीवर में सामान्य फ्लू गले का संक्रमण या वायरल संक्रमण हो सकते हैं. वहीं वायरल फीवर का कारण गंभीर वायरल संक्रमण हो सकता है.  जैसे इन्फ्लूएंजा, डेंगू, चिकनगुनिया ये शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करके तेज बुखार और दूसरे लक्षण पैदा कर सकते हैं. वायरल फीवर में डॉक्टर से इलाज करवाना जरूरी होता है.