Delhi News: दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल (Swati Maliwal) ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर (Cervical Cancer in Women) की रोकथाम के लिए मुफ्त एचपीवी वैक्सीन (HPV Vaccine) शुरू करने की मांग की है. 



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भारत में महिलाओं में कैंसर से जुड़ी मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण सर्वाइकल कैंसर है. अनुमान है कि देश में हर साल लगभग 1.25 लाख नए मामले सामने आते हैं और 75 हजार से अधिक मौतें होती हैं. द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित कई संस्थानों के रिसर्च के अनुसार दुनिया में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली मौतों के मामले में सबसे अधिक संख्या वाले देशों में से एक हैं. जहां हर पांच में से एक या 21 प्रतिशत विश्व स्तर पर सर्वाइकल कैंसर के मामले भारत में सामने आते हैं. अध्ययन में यह भी कहा गया है कि सर्वाइकल कैंसर के कारण होने वाली मौतों में से 23 प्रतिशत लगभग हर चार में से एक मौत भारत में होती है. यह अध्ययन विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का एक हिस्सा, इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) के वैश्विक 2020 डेटाबेस पर आधारित था, जिसके अनुसार 2020 में दुनियाभर में सर्वाइकल कैंसर के 6 लाख से अधिक नए मामले और 3.4 लाख से अधिक मौतें हुईं.


ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) संक्रमण के लिए नियमित जांच और टीकाकरण की मदद से सर्वाइकल कैंसर को रोका जा सकता है, जो इस बीमारी के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है. रिपोर्टों के अनुसार दस वर्षों तक स्कूल जाने वाली लड़कियों के नियमित टीकाकरण के बाद ब्रिटेन में सर्वाइकल कैंसर की दर में 90% की कमी देखी गई है.


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WHO के अनुसार 2018 में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली लगभग 90% मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में दर्ज की गईं. यह इसलिए है क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच सीमित है और उनकी जांच और इलाज को अभी भी व्यापक रूप से लागू नहीं किया गया है. भारत में गार्डासिल और सर्वारिक्स के लिए एचपीवी वैक्सीन की कीमत ₹2800 और ₹3299 प्रति खुराक है और प्रत्येक टीके के लिए न्यूनतम 3 खुराक की आवश्यकता होती है. इसलिए भारत में एक लड़की को सर्वाइकल कैंसर का टीका लगवाने के लिए ₹8400 या ₹9897 राशि की आवश्यकता होती है, जो देश के अधिकांश लोगों के लिए एक बड़ी राशि है.


टीकाकरण के माध्यम से रोकथाम सर्वाइकल कैंसर के उन्मूलन के लिए अगस्त 2020 में डब्ल्यूएचओ की अपनाई गई वैश्विक रणनीति के स्तंभों में से एक है. डब्ल्यूएचओ के टीकाकरण पर विशेषज्ञों के रणनीतिक सलाहकार समूह (एसएजीई) ने हाल ही में एचपीवी के लिए खुराक कार्यक्रम को अद्यतन करके कुछ सिफारिशें की हैं, इनमें शामिल हैं.
1. 9-14 वर्ष की आयु की लड़कियों के प्राथमिक लक्ष्य के लिए एक या दो-खुराक.
2. 15-20 वर्ष की युवा महिलाओं के लिए एक या दो खुराक का कार्यक्रम.
3. 21 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के लिए 6 महीने के अंतराल पर दो खुराक.


यह महत्वपूर्ण बात यह है कि सरकारी सलाहकार पैनल नेशनल टेक्निकल एडवाइजरी ग्रुप ऑन इम्यूनाइजेशन (एनटीएजीआई) ने पहले ही 9-14 के लिए एक बार के कैचअप और 9 साल के अंतराल पर नियमित टीकाकरण के साथ यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम (यूआईपी) में एचपीवी वैक्सीन की शुरुआत की सिफारिश की है. इसके अलावा सिक्किम ने पहले ही पूरे राज्य में लड़कियों के लिए मुफ्त एचपीवी वैक्सीन शुरू कर दी है. 2014 में एक असफल प्रयास के बाद इसे 2018 में फिर से शुरू किया गया. 9 से 14 वर्ष की आयु वर्ग की लड़कियों को न्यूनतम 6 महीने के अंतर से अलग करके टीके की 2 खुराक दी गईं. पहले और दूसरे राउंड का कवरेज 96.69% और 97.85% था. 2020 में नियमित टीकाकरण कवरेज 88.5% था. राज्य में एचपीवी के प्रसार को रोकने के लिए यह एक उत्कृष्ट पहल है.


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दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष ने केंद्र सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक को नोटिस भेजा है और इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने भारत में एचपीवी वैक्सीन को अब तक सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में शामिल नहीं करने का कारण पूछा है. आयोग ने सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम में एचपीवी वैक्सीन को शामिल करने के लिए लंबित किसी भी प्रस्ताव और उसकी वर्तमान स्थिति का विवरण मांगा है. आयोग ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा सर्वाइकल कैंसर और एचपीवी वैक्सीन के बारे में चलाए जा रहे जागरूकता अभियानों और योजनाओं का विवरण भी मांगा है. इसके अलावा डीजीएचएस को भारत में सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा किए गए प्रयासों का विवरण प्रदान करने के लिए कहा गया है.


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने कहा कि देश में हर साल सर्वाइकल कैंसर के 75,000 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं. विश्व में सर्वाइकल कैंसर से होने वाली कुल मौतों में से 21% मौतें भारत में होती हैं, जो चिंताजनक स्तर पर है. इस बीमारी का निदान नियमित जांच और ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (एचपीवी) संक्रमण के टीकाकरण के माध्यम से किया जा सकता है. जो इस बीमारी के लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार है. हालामंकि यह टीका महंगा है और महिलाओं और लड़कियों को मुफ्त प्रदान किया जाना चाहिए. केंद्र सरकार को इस मामले पर गौर करना चाहिए और बड़े पैमाने पर महिलाओं और लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन की आसान उपलब्धता के लिए प्रयास करना चाहिए. एचपीवी टीकाकरण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है और हमारे देश के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए.