World Liver Day 2023: दक्षिणी दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर एंड बिलारी साइंस अस्पताल (ILBS) में वर्ल्ड लीवर डे (World Liver Day) के मौके पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया. जिसमें बचपन बचाओ आंदोलन संस्थान (Bachan Bachao Andolan Organisation) के नोबेल प्राइज विजेता कैलाश सत्यार्थी (Kailash Satyarthi) और यूजीसी के उपाभ्यास चेयरमैन दीपक कुमार श्रीवास्तव (Deepak Kumar Srivastava) आए थे. इसके अलावा कई स्कूलों के बच्चों को भी इस कार्यक्रम में बुलाया गया था. 


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इस कार्यक्रम का आयोजन डॉ शंकर कुमार सरीन द्वारा किया गया था. डॉक्टरों के मुताबिक आज के दौर में लीवर से होने वाली बीमारी का मुख्य कारण शराब है. डॉक्टर सरीन ने बताया कि उनके अस्पताल में लीवर की समस्या से जो मरीज आते हैं उनमें से लगभग 48% मरीज शराब के आदी होते हैं. जिनकी वजह से उनका लिवर खराब होता है. शराब पीने से इतनी संकट की स्थिति पैदा हो गई है कि इसके चलते वर्ल्ड लीवर डे के मौके पर शराब से होने वाले नुकसान और इसके बचाव के जागरूकता के लिए इसका आयोजन किया गया था. इस कार्यक्रम में पहुंचे तमाम वक्ताओं ने अपने-अपने अनुभव शेयर किए. 


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नोबेल प्राइज विनर कैलाश सत्यार्थी ने बताया कि जब वह समाज में बच्चों के लिए काम करते हैं, तो पता लगता है कि कैसे उन बच्चों के पिता शराब के नशे में अपने बच्चों और परिवार को प्रताड़ित करते हैं. शराब से न सिर्फ शारीरिक बल्कि सामाजिक और परिवारिक नुकसान भी है . वहीं इस कार्यक्रम को सुनने के बाद UGC के वाइस चेयरमैन ने ये आश्वासन दिया कि डॉक्टर सरीन अगर यूनिवर्सिटी में शराब को लेकर के कोई राय देते हैं. तो वह एक एडवाइजरी के तहत उसे तमाम यूनिवर्सिटी को फॉलो करने के लिए कहेंगे. शराब से और भी कई तरह की बीमारियां होती है, लेकिन मुख्य रूप से शराब से लीवर को नुकसान होता है. 


ऐसे मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के मुताबिक शराब की सबसे ज्यादा खपत दुनिया के यूरोपीय देशों में होती है, लेकिन भारत में जिस कदर शराब का ट्रेंड बढ़ा है. उससे लगता है कि बहुत जल्द भारत में यूरोपीय देशों के बराबर शराब की खपत हो जाएगी. उसका मुख्य कारण है कि भारत में यूथ का काफी तेजी से शराब के तरफ झुकाव हो रहा है. डॉक्टरों ने कहा कि बीते कुछ सालों की बात करें तो शराब के लिए लीवर की जो समस्या आती थी वो एज ग्रुप लगभग 50 साल था. लेकिन हाल के सालों में यह एज ग्रुप 18 से 35 में काफी देखने को मिल रहा है. 


इसका मतलब ये हुआ कि देश के युवा पीढ़ी तेजी से अल्कोहलिक होते जा रहे हैं. डॉक्टरों ने हमारे देश की अगली पीढ़ी के लिए इसे बेहद चिंता का विषय बताया है. शायद इसीलिए वर्ल्ड लीवर डे के मौके पर इस कार्यक्रम में कई स्कूली बच्चों को यहां बुलाया गया. ताकि वह इस बात को लेकर अवेयर हो सके. साथ ही डॉक्टरों और कैलाश सत्यार्थी द्वारा कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों को शराब नहीं पिने की शपथ और यहां से जाने के बाद कम से कम 10 लोगों को जागरूक करेंगे कि वह भी शराब न पिए.


डॉक्टर सरीन ने बताया कि लीवर की समस्या को लेकर अगर पहले से जानकारी हो जाए तो इसे बचाया जा सकता है. साथ ही साथ अगर कोई शराब का आदी है तो समय पर अपनी जांच कराए तो गंभीर परिस्थिति आने से पहले वह अपना इलाज करवा सकता है. कुल मिलाकर लीवर डे के मौके पर यही मैसेज है कि जितना हो सके शराब से दूरी बनाए रखें. क्योंकि स्वस्थ शरीर और स्वस्थ लीवर के लिए शराब बिल्कुल ही फायदेमंद नहीं है.


Input: मुकेश सिंह