Heatwave Alert: अगर आप भी हैं इस बीमारी से पीड़ित तो गर्मी और हीटवेव से बढ़ सकती है आपकी परेशानी
Heatwave Side Effects: हाल ही में `द लैंसेट न्यूरोलॉजी` नाम की एक जर्नल में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से माइग्रेन (Migrane) और अल्जाइमर (Alzheimer) जैसी दिमागी बीमारियों से जूंझ रहे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की संभावना है. हीट स्ट्रोक से पैरालाइज होने और साथ ही साथ मृत्यु होने की सभी संभावना है.
Heatwave Side Effects: देशभर में गर्मी की प्रकोप जारी है. इससे लोग हीट स्ट्रोक का शिकार हो रहे है. वहीं जो लोग न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूंझ रहे हैं, उनके लिए ज्यादा गर्मी खतरनाक हो सकती है. लांसेंट जर्नल की स्टडी के मुताबिक न्यूरोलॉजिकल बीमारी से जूंझ रहे लोगों के लिए ज्यादा गर्मी खतरनाक साबित हो सकती है.
माइग्रेन और अल्जाइमर पीड़ित लोगों पर बुरा असर होने की संभावना
हाल ही में 'द लैंसेट न्यूरोलॉजी' नाम की एक जर्नल में बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन से माइग्रेन (Migrane) और अल्जाइमर (Alzheimer) जैसी दिमागी बीमारियों से जूंझ रहे लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ने की संभावना है. इसमें ये भी बताया गया है कि जलवायु परिवर्तन की वजह से आने वाले मौसम में बहुत ज्यादा गर्म या ठंडे तापमान और साथ ही पूरे दिन में बढ़ते हुए तापमान में अचानक बहुत ज्यादा बदलाव दिमाग की बीमारियों से ग्रसित लोगों के ऊपर बुरा प्रभाव डालते हैं.
हीट स्ट्रोक से पैरालाइज होने और साथ मृत्यु के मामलों बढ़ें
रात का तापमान खासकर महत्वपूर्ण होता है. क्योंकि रात में ज्यादा गर्मी पड़ने से लोगों की नींद पूरी नहीं होती और नींद पूरी न होना दिमाग की कई बीमारियों के रिस्क को बढ़ा देता है. यह रिसर्च 1968 से 2023 तक के 332 प्रकाशनों पर आधारित है, जिसमें स्ट्रोक, माइग्रेन, अल्जाइमर, मेनिनजाइटिस और मल्टीपल स्केलेरोसिस समेत शरीर के 19 अलग-अलग परेशानियों को शामिल किया गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि ज्यादा गर्मी या लू के दौरान स्ट्रोक से अस्पताल में भर्ती होने, पैरालाइज होने और साथ ही साथ मृत्यु के मामलों में वृद्धि हुई है.
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डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों को हो सकता है खतरा
वहीं शोधकर्ताओं ने ये भी पाया कि डिमेंशिया से ग्रस्त लोगों को भी बहुत ज्यादा गर्मी या ठंड से ज्यादा खतरा होता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि दिमाग कमजोर होने की वजह से वो अपने आसपास के बदलते वातावरण के हिसाब से खुद को ढालने में परेशानी महसूस कर सकते हैं. साथ ही रिसर्च में ये पाया गया कि जलवायु परिवर्तन से चिंता, डिप्रेशन और स्किज़ोफ्रेनिया जैसी आम लेकिन गंभीर मानसिक बीमारियों पर भी असर पड़ता है.
मानसिक परेशानियां होने का खतरा ज्यादा
सर गंगाराम अस्पताल के न्यूरोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. सीएस अग्रवाल का कहना है कि दिमाग से जुड़ी कई बीमारियों में चिंता जैसी मानसिक परेशानियां होने का खतरा ज्यादा होता है. ये मिलीजुली बीमारियां जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को और भी गंभीर बना सकती हैं. स्वस्थ रहने के लिए जरूरी बदलाव करने में मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं. उन्होंने कहा कि पहले से बीमार हुए लोगों के लिए खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाता है.
बीमार लोगों पर इसका असर पड़ रहा ज्यादा
वहीं एनवायरमेंटलिस्ट चंद्रभूषण का कहना है कि जिस तरीके से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है. यह कहा जा सकता है कि अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि जलवायु परिवर्तन काफी तेजी से होता नजर आ रहा है. इसको लेकर काम तो किया जा रहा है, लेकिन काफी धीमी गति से जिसकी वजह से अभी इस तरह की परेशानियों का लोगों को सामना करना पड़ रहा है. जो लोग पहले से ही बीमार थे क्योंकि उनका शरीर कमजोर है. इस वजह से उनके ऊपर फर्क बहुत ज्यादा पड़ रहा है.
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उन्होंने कहा कि दिल्ली-एनसीआर की भी बात करते हैं तो यहां पर इस वक्त काफी ज्यादा गर्मी देखने को मिल रही है. अगर हम इलेक्शन के समय की भी बात करें तो कहीं पर भी हमने पर्यावरण की चर्चा होते हुए नहीं देखी. न नागरिकों में अभी इतनी जागरुकता है कि वह पर्यावरण का मुद्दा देखकर किसी पर वोट डालें. जलवायु परिवर्तन के लिए सिर्फ सरकार ही नहीं बल्कि लोगों को भी जागरूकता से काम लेना पड़ेगा.
रिसर्चर्स ने माना है कि क्योंकि अब मौसम ज्यादा खराब हो रहा है और पूरी दुनिया में तापमान बढ़ रहा है. इसलिए लोग ऐसे गंभीर एनवायरनमेंट से जुड़ी समस्याओं के संपर्क में आ रहे हैं. जो शायद पहले की समीक्षा की गई कुछ स्टडीज में दिमाग की बीमारियों को प्रभावित करने के लिए काफी गंभीर नहीं थे.
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