Kaithal Crime: अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. गगनदीप कौर सिंह की अदालत में एक 7 साल की बच्ची के साथ रेप और उसके बाद निर्ममता से हत्या करने के दोषी को फांसी की सजा सुनाई है. कैथल के इतिहास में यह पहला ऐसा फैसला है कि किसी दोषी को मौत की सजा दी गई हो. अदालत ने जिला विधिक सेवाएं प्राधिकारण के माध्यम से बच्ची के माता-पिता को 30 लाख रुपए मुआवजा भी देने के आदेश दिए हैं.


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बता दें कि यह मुआवजा राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त अलग-अलग अपराधों में दोषी पर 13 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है. इस बारे में बच्ची के पिता ने 8 अक्टूबर को थाना कलायत में आईपीसी की कई धाराओं और  पोक्सो एक्ट के तहत केस नंबर 395 दर्ज किया गया था. बाद में जांच के बाद केस में आईपीसी की धारा 376 (3) भी जोड़ी गई थी. केस की खास बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 5 दिन में चालान तैयार करके अदालत में पेश कर दिया था. शिकायत पक्ष की ओर से कैसे की पैरवी उप जिला न्यायवादी जय भगवान गोयल ने की. उन्हें जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण द्वारा नियुक्त वकील अरविंद खुरानिया ने सहयोग दिया.


जय भगवान गोयल ने बताया कि कलायत थाना क्षेत्र के एक गांव में गत वर्ष 8 अक्टूबर को दोषी पवन दूसरी कक्षा में पडने वाली 7 साल की बच्ची बहका फुसला कर अपने साथ ले गया. उस समय बच्ची गली में खेल रही थी. जब बच्ची घर वापिस नहीं गई तो उसकी तलाश शरू की गई और कलायत थाने में अपहरण का केस दर्ज करवाया गया. अगले दिन दोपहर 3 बजे बच्ची का अधजला शव पास के जंगल में मिला. पुलिस ने मौके पर फोरेंसिंक टीम को बुलाया. इस संबंध में पवन को हिरासत में लिया गया, क्योंकि यह युवक सीसीटीवी की फुटेज में शनिवार को बच्ची को अपने साथ ले जाते हुए नजर आ रहा था. 


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अगली सुबह ही तत्कालीन एसपी मकसूद अहमद, डीएसपी सज्जन कुमार, थाना कलायत के कार्यकारी एसएचओ महावीर सिंह, सीआईए वन व रिजर्व टीम गांव कुराड़ पहुंची. पहले आशंका जताई जा रही थी कि बच्ची के साथ हैवानियत कर उसके शव को आग के हवाले किया गया है. पूछताछ में पवन ने सारी वारदात का खुलासा किया. उसने बताया कि बच्ची से रेप करने के बाद उसकी हत्या कर दी थी. वारदात के बाद सबूत मिटाने के मकसद से बच्ची के शव को तेल छिड़ककर जला दिया था. जब बच्ची ने शोर मचाया तो पवन ने मुंह दबाकर उसकी हत्या कर दी. उसके बाद पवन ने सबूत मिटाने के मकसद से पेट्रोल छिड़ककर आग लगा थी.


जांच के दौरान पुलिस को एक सीसीटीवी फुटेज मिली, जिसमें पवन बच्ची को ले जाता हुआ नजर आया. जय भगवान गोयल ने बताया कि दिलबाग सिंह और मोहन ने सबसे पहले जंगल में बच्ची की अधजली लाश को देखा था. उसने सीसीटीवी फुटेज में भी बच्ची और आरोपी पवन की पहचान की. इसके बाद पवन के खिलाफ हत्या और रेप का केस दर्ज किया गया. पुलिस ने पवन को गिरफ्तार करके अदालत के सुपुर्द कर दिया. केस की सुनवाई तत्कालीन अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश पूनम सुनेजा की अदालत में शुरू हुई. 


उनके तबादले के बाद यह सुनवाई एडीजे डॉ. गगनदीप कौर की अदालत में हुई. इस केस में 2 नवंबर को चार्ज लगाया गया था, मामले में कुल 34 गवाह पेश किए गए. बहस के दौरान गोयल और खुरानिया ने अदालत को बताया कि यह केस रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केसों की कैटेगरी में आता है, इसलिए दोषी को मौत सजा दी जाए. दूसरी ओर बचाव पक्ष के वकील ने भी दृढ़ता से पवन का पक्ष रखा. दोनों पक्षों को गौर से सुनने के बाद एडीजे डॉ. गगनदीप कौर सिंह ने पवन को रेप और हत्या का दोषी पाया तथा गवाहों और सबूतों की रोशनी में अपने 100 पेज के फैसले में दोषी को फांसी की सजा सुनाई. आज फैसला सुनने गांव से काफी संख्या में लोग आए हुए थे. 


Input: Vipin Sharma