नोएडा: एक महिला जो लगातार सभी बाधाओं से ऊपर उठी है. 2 दशकों से अधिक समय तक लकवा (चेस्ट के नीचे) को झेलती रही. इस महिला ने अपनी शारीरिक दुर्बलता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया. बुलंद हौसलों से वह मुकाम हासिल किया, जिसकी ख्वाहिश हर महिला रखती है. हम बात कर रहे हैं दीपा मलिक की. दीपा मलिक वह पैरा एथलीट खिलाड़ी थीं, जिन्होंने देश को पैरालंपिक में पहला पदक दिलाया था. इतना ही नहीं उन्हें पद्मश्री, खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड जैसे सम्मान से भी सम्मानित किया गया है. दीपा मलिक को- 5 बार राष्ट्रपति पुरस्कार, 4 लिम्का विश्व रिकॉर्ड, 3 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, 68 राष्ट्रीय और राज्य पदक, 23 अंतर्राष्ट्रीय पदक से नवाजा गया है.


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पद्म श्री, खेल रत्न और अर्जुन पुरस्कार विजेता डॉ. दीपा मलिक भारत की पहली पैराप्लेजिक महिला बाइकर, तैराक, रैलीस्टि और भारत की पहली महिला पैरालंपिक पदक विजेता हैं, जो अपनी फाउंडेशन व्हीलिंग हैप्पीनेस के माध्यम से विकलांग लोगों को भी सक्षम बनाती हैं. दीपा मलिक को अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति द्वारा वर्ष की महिला 2019 के रूप में मान्यता दी गई है. उन्होंने न्यूजीलैंड में एक नागरिक राजदूत के रूप में भी काम किया है, जिसे माननीय द्वारा सर एडमंड हिलेरी पीएम का फेलो नियुक्त किया गया है.


जैसिंडा अर्डर्न डॉ. दीपा मलिक को सरकार की अखिल भारतीय खेल परिषद के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया है. वर्तमान में भारत की पैरालंपिक समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्यरत हैं. भारतीय टीम ने उनके नेतृत्व में टोक्यो पैरालंपिक में इतिहास में सबसे अधिक पदक जीते हैं. इस ऐतिहासिक उपलब्धि के लिए डॉ. दीपा मलिक को एशियाई ऑर्डर 2022 से सम्मानित किया गया है, जो पैरा-स्पोर्ट्स में भाग लेने वाले सभी एशियाई देशों में सर्वोच्च सम्मान है. वह हरियाणा रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण के लिए जनसंपर्क और शिकायतों को भी संभाल रही हैं. डॉ. दीपा भारत की आजादी के 75 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए पीएम मोदी की उच्च स्तरीय समिति की सदस्य हैं.


दीपा मलिक ने एक फौजी से शादी की है. उनकी शादी भी काफी खास रही, क्योंकि उनकी शादी में दहेज दिया नहीं गया बल्कि लड़के पक्ष से दहेज आया था. उन्हें दहेज में बाइक मिली थी, जो उन्हें बेहद पसंद थी. उनके पति ने कारगिल की जंग के बाद उनके लिए आर्मी की नौकरी भी छोड़ दी, लेकिन उनके हौसले को कम नहीं होने दिया.


दीपा मलिक का कहना था कि लोगों के ताने सुन सुनकर कई बार उनका हौसला टूट सा गया था, लेकिन उनके कुछ कर गुजरने की चाह ने उनके हौसले को मजबूत रखा और आज उन्होंने वह मुकाम हासिल किया जिसकी उन्हें चाह थी. उन्होंने कहा आज महिलाएं पुरुषों से पीछे नहीं है चाहे वो खेल जगत हो या फिर अन्य कोई क्षेत्र हो. सभी जगह महिलाएं बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं.


दीपा मलिक ने कहा, मैं हर महिला से कहूंगी कि अगर उसके कोई सपने हैं तो उन सपनों को पूरा करने के लिए उसे कड़ी मेहनत कर अपने सपने को साकार करने की जरूरत है, क्योंकि हर महिला के अंदर एक ऐसा हुनर छुपा होता है, जिसे यह समाज देख नहीं पाता बस उस हुनर को बाहर लाने की जरूरत है. साथ ही उन्होंने देश की सभी महिलाओं से अपील की कि वह इस आजादी के अमृत महोत्सव में अपने घर की छत से तिरंगा जरूर फहराए, क्योंकि यह तिरंगा हमारी आन बान और शान है.