Crime: कार चोरी, धोखाधड़ी से भी मन नहीं भरा तो जज बनकर फैसले भी सुनाए, क्या है शातिर दिमाग के `धनी` की कहानी
Interesting Story: ये इंसान का दिमाग ही है, जो उसे कुछ अच्छा या बुरा करने के लिए प्रेरित करता है, लेकिन लाइफ में फन और रोमांच के लिए करीब 4 दशक तक कार चोरी समेत कई वारदात में शामिल धनीराम की 85 साल की उम्र में हार्ट अटैक से मौत हो गई.
Dhani Ram Mittal Death: 1960 से 2000 के दशक तक हरियाणा, चंडीगढ़, पंजाब और राजस्थान में कार चोरी के 150 से अधिक वारदात को अंजाम देने वाले धनी राम वर्मा ने पिछले सप्ताह 85 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हुई. शनिवार को दिल्ली के निगमबोध घाट पर मित्तल का अंतिम संस्कार किया गया. वह एक साल से बीमार चल रहा था. उसे स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं थीं. कार चोरी के आरोप में पुलिस ने धनी राम को करीब 95 बार गिरफ्तार किया.
पुलिस के एक अनुमान के मुताबिक शातिर दिमाग के धनी राम ने अपनी लाइफ में कार चोरी, धोखाधड़ी, जालसाजी सहित 1,000 से अधिक क्राइम किए. उसने अपनी लाइफ में रोमांच लाने के लिए कई चीजें सीखीं। इतना ही नहीं, लॉ बैकग्राउंड और कोर्ट के एक्सपोजर की वजह से उसका जुड़ाव न्यायपालिका से इतना बढ़ गया कि कुछ समय उसने जज बनकर कई फैसले भी सुनाए.
पढ़ाई में अव्वल
1939 में भिवानी में जन्मे धनीराम मित्तल ने रोहतक से बीएससी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण कर नौकरी खोजने लगा, लेकिन नहीं मिली. एक वाकया 1964 का है. जब वह लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ दफ्तर गया, जहां उसने दलालों को फर्जी दस्तावेज से लाइसेंस बनवाते देखा. यह देख उसके दिमाग में खुराफात सूझी. उसने भी वहां सेटिंग जमाई और यही काम करने लगा. करीब चार बाद वह इस काम में ऊब गया. इसके बाद फर्जीवाड़े में माहिर धनी ने रेलवे में स्टेशन मास्टर की नौकरी पा ली. उसने 1968 से 1974 तक की नौकरी की. लेकिन इस काम से भी बहुत जल्द बोर हो गया.
इसके बाद उसने गाड़ियां चुराना शुरू कर दिया. बार-बार जेल और अदालत जाते-जाते उसने वकीलों और पुलिस वालों की ट्यूनिंग देखी और फिर वकील बनने की ख्वाहिश लेकर जयपुर में एलएलबी में एडमिशन ले लिया. डिग्री के बाद उसने कई वकीलों के यहां मुंशी का काम किया. इस दौरान उसने फिर से कोर्ट में खड़ी गाड़ियों को ही चोरी करना शुरू कर दिया. चोरी की गाड़ी बेचने में कोई परेशानी न आए, इसलिए उसने हैंडराइटिंग का कोर्स भी कर लिया.
झज्जर में जज बनकर अपराधियों को दी राहत
1980 के दशक में धनीराम मित्तल ने भ्रष्टाचार के मामले में अडिशनल सिविल जज के खिलाफ जांच के आदेश की खबर देखी. इसके बाद धनीराम ने एक के बाद एक दो लेटर कोर्ट के नाम तैयार किए. एक में जज को जांच पूरी होने तक लीव पर भेजने और दूसरे में उनकी जगह खुद की नियुक्ति की बात थी. 40 दिन में धनीराम ने दो हजार से ज्यादा लोगों को जमानत दी. जब उनकी कार्यशैली पर शक हुआ तो चर्चा होने लगी. पता चलते ही 41 दिन बाद धनीराम कोर्ट से गायब हो गए, तब जाकर पता चला कि हाईकोर्ट ने कोई नियुक्ति पत्र भेजा ही नहीं था.
इस बीच वह ग्राफोलॉजी का कोर्स करने के लिए कोलकाता चला गया, लेकिन कारों के लिए उनके जूनून और कोर्ट का एक्सपोजर उन्हें वापस रोहतक खींच लाया और फिर से वकालत शुरू कर दी और रोमांच के कार लिफ्टिंग की वारदात जारी रखी.
77 की उम्र में आखिरी गिरफ्तारी
हालांकि बढ़ती उम्र के साथ उसके क्राइम रिकॉर्ड में कमी आने लगी. 2016 में 77 साल की उम्र में उसे दिल्ली के रानी बाग में एक कार चोरी करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. यह उनकी 95वीं गिरफ्तारी थी. हालांकि बुढ़ापा होने की वजह से उन्हें छोड़ दिया गया.