Kargil Vijay Diwas: 26 जुलाई 1999 को भारत के सैनिकों ने अपने साहस का परिचय देते हुए पाकिस्तानी सैनिकों पर जीत हासिल की और कारगिल की पहाड़ियों पर तिरंगा लहराया था, तबसे हर साल इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है. आज कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ है. आज के इस आर्टिकल में हम आपको कारगिल के उन 5 योद्धाओं के बारे में बताने वाले हैं, जिनके बिना कारगिल विजय की कल्पना भी नहीं की जा सकती. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1. कैप्टन विक्रम बत्रा
अभी कुछ दिनों पहले आई एक मूवी को देखने के बाद शायद ही कोई ऐसा शख्स हो जिसकी आंखें नम न हुई हों. ये कहानी थी कारगिल के हीरो कैप्टन विक्रम बत्रा की, देश का एक ऐसा सिपाही, जिसके लिए देशसेवा से बढ़कर कुछ और नहीं था. वो जून में 1996 में मानेकशां बटालियन में शामिल हुए थे और उसके कुछ ही समय के बाद जम्मू और कश्मीर भेज दिया गया कारगिल के युद्ध के दौरान कैप्टन विक्रम बत्रा ने कई जगहों को पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराया और महज 24 साल की उम्र में वीरगति को प्राप्त हुए.  कारगिल में उनके साहस और पराक्रम के लिए उन्हें 'शेरशाह' नाम दिया गया और मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया था. 


Kargil Vijay Diwas 2022: 15 गोलियां खाकर भी टाइगर हिल पर नहीं होने दिया पाक का कब्जा, बुलंदशहरी योगेंद्र सिंह यादव की कहानी


2. कैप्टन सौरभ कालिया
कारगिल के युद्ध में 4 जाट बटालियन के कैप्टन सौरभ कालिया और अन्य सैनिको को पाकिस्तानी सेना ने जिंदा पकड़ लिया था और 22 दिनों तक बंदी बनाकर रखा. इस दौरान उन्हें कई यातनाएं दी गई, शरीर पर सिगरेट से जलाए जाने के निशान, यहां तक की उनकी आंखें भी फोड़ दी गई थी. इतनी यातनाओं को सहने के बाद वो वीरगति को प्राप्त हुए. उनके कटे हुए शरीर को 9 जून 1999 को वापस भारतीय सेना को सौंपा गया था. कैप्टन सौरभ कालिया महज 23 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए. 


3. कैप्टन विजयंत थापर
22 वर्षीय कैप्टन विजयंत थापर के जीवन का एकमात्र उद्देश्य अपनी माातृभूमि की सेवा करना था. कारगिल के युद्ध की शुरुआत में ही उनकी बटालियन ने कई जगहों को  पाकिस्तानी सैनिकों के कब्जे से मुक्त कराया और नॉल क्षेत्र पर कब्जा करने के दोरान एक विस्फोट में कैप्टन विजयंत थापर की मौत हो गई. उन्होंने अपनी मौत से महज कुछ घंटे पहले ही अपने माता-पिता के नाम एक खत लिख कर अपनी मौत की बात लिख दी थी.  मरणोपरांत इन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया.


Kargil Vijay Diwas 2022: कारगिल युद्ध में क्या थी वायुसेना की भूमिका, क्या था ऑपरेशन सफेद सागर


 


4. स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा
कारगिल युद्ध के दौरान भारतीय वायु सेना के लीडर अजय आहूजा ने 17 स्क्वाड्रन की कमान संभाली थी. वह भारतीय क्षेत्र में मिग-21 उड़ा रहे थे, जब उनके विमान को पाकिस्तानी सेना के एफआईएम-92 स्टिंगर सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल के साथ मार गिराया था. विमान के ट्रैक खोने से पहले उन्होंने एक रेडियो कॉल जारी किया था, 'हरक्यूलिस, मेरे विमान से कुछ टकराया है, मिसाइल के हिट होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, मैं इसे (स्थान) बाहर निकाल रहा हूं.' इसके बाद वे 
पाकिस्तानी क्षेत्र में उतर गए थे. 29 मई को स्क्वाड्रन लीडर अजय आहूजा का शव भारत को सौंपा गया, तब उनके शरीर के जख्म उनपर हुई क्रूरता की कहाना को बयां कर रहे थे. इन्हें मरणोपरांत वीर चक्र से सम्मानित किया गया. 


5. लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे 
कारगिल युद्ध के दौरान लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पांडे ने अपने पराक्रम से दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए. पाकिस्तानी सैनिकों को देश की सीमा से खदेड़ने के दौरान ये वीरगति को प्राप्त हुए. इन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था.