करनाल: करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान में चल रहे तीन दिवसीय डेयरी मेले के दूसरे दिन मेले में पशु लेकर पहुंचे लोगों ने मेले की कवरेज करने पहुंचे पत्रकारों पर हमला बोल दिया. लोगों ने पत्रकारों पर लाठी-डंडों और तेजधार बरछी से अचानक वार कर दिया, जिससे कि तीन पत्रकार घायल हो गए. मौके पर पहुंची डायल 112 की टीम ने हमलावरों को रोकना चाहा तो हमलावरों ने पुलिसकर्मियों के साथ भी बदसलूकी की.



COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

दरअसल निजी चैनलों के दो पत्रकार हिमांशु नारंग, कमल मिड्डा समेत एक कैमरामैन मुकुल मेले में पशुओं की कवरेज करने के लिए पहुंचे. तभी वहां मौजूद पशुपलकों ने अचानक गाली-गलौज करते हुए पत्रकारों के कैमरे छीन लिए. पत्रकारों ने जब इसका विरोध किया तो वहां मौजूद करीब 20 लोगों ने लाठी-डंडों से पत्रकारों पर एक साथ हमला बोल दिया. हमले की सूचना पाकर मौके पर डायल 112 की पुलिस टीम भी पहुंच गई और मामले को शांत करने का प्रयास किया. हमलावरों ने पुलिसकर्मियों के साथ बदसलूकी करते हुए मौके से फरार हो गए. 


हमलावरों में कुछ बुजुर्ग भी शामिल थे जो लगातार हमलावर युवकों को उकसा रहे थे. बता दें कि इस हमले में तीन पत्रकार घायल हुए हैं. मौके पर पहुंची पुलिस ने प्राथमिक सूचना दर्ज करते हुए मामले की जांच शुरू कर दी है. पुलिसकर्मी परमिंदर सिंह ने बताया कि पुलिस को मेले के दौरान पत्रकारों पर हमला होने की सूचना मिली थी. सूचना पाकर घटनास्थल पर पहुंचे और मामले को शांता कराया और साथ ही आगे की जांच शुरू कर दी है. 


ये भी पढ़ें: Fatehabad: 25-30 एकड़ गेंहू की फसल में लगी भीषण आग, HV तारों से हुई स्पार्किंग, किसानों ने की मुआवजे की मांग


मौके पर मौजूद चश्मदीद नाहर सिंह संधू ने बताया कि एनडीआरआई में हर साल डेयरी मेला लगाया जाता है, लेकिन जिस प्रकार की अव्यवस्था इस बार मेले में देखने को मिल रही है ऐसी व्यवस्था कभी देखने को नहीं मिली. उन्होंने कहा कि दो पत्रकारों पर हुए हमले के बाद जब बीच-बचाव करने के लिए दूसरे पत्रकार कमल मिड्डा पहुंचे तो वहां मौजूद हमलावरों ने उन्हें भी घेर लिया और उनके साथ भी मारपीट की.


मेले में पहुंचे किसान ने कहा कि मेले में न तो कोई ज्यादा पशु है और न ही कोई व्यवस्था. मेले में सिक्योरिटी नाम की कोई चीज दिखाई नहीं दी. रिंग में भी झगड़ा हुआ है. मेले में केवल लूट का सूट ही रह गई है. सरकार द्वारा मेले के नाम पर कितना पैसा खर्च किया जा रहा है वह किसी काम का नहीं, क्योंकि सभी किसान इस वक्त फसल काटने में व्यस्त हैं. इस सीजन में मेले का आयोजन किसानों के लिए पूरी तरह बेकार है.



Input: कमरजीत सिंह