Karnal News: हरियाणा के करनाल के रहने वाले संजय की अमेरिका में हार्ट अटैक से मौत हो गई थी, जिसके 16 दिन बाद आज उनका शव घर पहुंचा. एम्बुलेंस के जरिए जब संजय का शव पैतृक गांव नरूखडी पहुंचा तो हर किसी की आंखे नं हो गई. मृतक के 12 साल के बड़े बेटे ने अपने छोटे भाई के साथ मिलकर पिता को मुखाग्नि दी. मृतक के परिवारवालों ने 40 लाख रुपये का कर्ज लेकर शव को अमेरिका से भारत मंगाया है, इसके लिए परिजनों ने हरियाणा सरकार से भी मदद की गुहार लगाई थी, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. 


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हरियाणा, पंजाब सहित देश के कई राज्यों से हर साल सैकड़ों की संख्या में युवा रोजगार की तलाश में या पढ़ाई के लिए विदेश जाते हैं, लेकिन कई बार वो जिस उम्मीद को लेकर घर से निकलते हैं वो पूरी नहीं हो पाती. ऐसा ही कुछ हरियाणा के करनाल जिले के रहने वाले संजय के साथ हुआ. संजय 2022 के अगस्त महीने में काम की तलाश में अमेरिका गया था, डोंकी के रास्ते वहां पहुंचने में करीब 8 से 9 महीने का समय लगा. इस दौरान बॉर्डर से करीब 2-3 बार संजय को वापस भी लौटना पड़ा, लेकिन इसके बाद भी वो किसी तरह अमेरिका में दाखिल हो गया. अमेरिका पहुंचने के बाद संजय को 2-3 महीने तक काम नही मिला, उसके बाद उसे एक स्टोर में नौकरी मिल गई. संजय के परिजनों ने लाखों रुपये खर्च करके उसे अमेरिका भेजा था. उम्मीद थी की काम मिलने के बाद कर्ज के पैसे भी उतर जाएंगे, लेकिन थोड़े समय बाद ही वह बीमार रहने लगा, वह ढंग से काम भी नहीं कर पा रहा था.


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संजय को एक बार पहले भी हार्ट अटैक आ चुका था, लेकिन तब वह इलाज के बाद ठीक हो गया.10 जनवरी को संजय को फिर अटैक आया, चचेरे भाई रजनीश व अन्य साथियों ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया. 10 जनवरी की रात को उसने मां, पत्नी और बच्चों से फोन पर बात की थी. उसने कहा था कि वह बिल्कुल ठीक है और जल्दी ठीक हो जाएगा. उसके 6 घंटे बाद शुक्रवार 11 जनवरी को उसकी मौत हो गई.


संजय की शादी करीब 13 साल पहले पूजा के साथ हुई थी. संजय और पूजा के दो बेटे हैं, जिसमें आशू 12 साल का है और जतिन नौ साल का है.संजय की मौत के बाद घर के सदस्य आखिरी बार उसका चेहरा देखना चाहते थे. शव को वापस मंगाने के लिए परिजनों ने सरकार से भी गुहार लगाई, लेकिन कोई मदद नहीं मिली. जिसके बाद परिवारवालों ने 40 लाख रुपये का कर्जा लेकर संजय के शव को मंगाया है. संजय के पिता की पहले ही मौत हो चुकी है, अब बेटे की मौत और कर्ज के बोझ तले दबी मां को सरकार से ये उम्मीद है कि शायद सरकार उसकी मदद करे. 


Input- Kamarjeet Singh