Karwa Chauth 2022: कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती हैं. इस दिन सभी सुहागिनी भूखी-प्यासी रहकर भगवान से अपने पति की लंबी आयु की कामना करती हैं और शाम को चांद के निकलने के बाद पहले छलनी से चांद और फिर पति को देखकर अपना व्रत खोलती हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि छलनी से ही चांद को देखने के पीछे की क्या कहानी है, अगर नहीं जानते तो ये खबर आपके काम की है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुहागिन महिलाएं पहले छलनी में दीपक रखती हैं और फिर उससे चांद को देखती हैं, चांद को देखने के बाद उसी छलनी से पति को देखती हैं. फिर पति के हाथों से पानी पीकर व्रत तोड़ती हैं. 


karwa Chauth 2022: जानें Delhi NCR में कब, कहां और कितने बजे कर सकेंगे चांद का दीदार


छलनी से चांद और पति को देखने के पीछे की मान्यता
पुरानी कथा के अनुसार वीरवती नाम की एक महिला के 7 भाई थे, वो सभी अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे. वीरवती की शादी हो जाने के बाद वो पहली बार अपने पति के लिए करवा चौथ का व्रत रखती है लेकिन निर्जला व्रत की वजह से उसकी तबियत बिगड़ने लगती है. बहन को बीमार देखकर भाई परेशान हो जाते हैं और पेड़ की ओट में छलनी में जलता हुआ दीपक रख देते हैं. 


वीरवती के भाई नकली चांद को असली बताकर बहन को अर्घ्य देने के लिए कहते हैं. वीरवती जैसे ही अर्घ्य देकर खाना खाने बैठती है, उसके पति की मौत की खबर आ जाती है. इस खबर के मिलते ही भाइयों को अपनी गलती पर पछतावा होता है और वीरवती को सारी सच्चाई का पता चल जाता है. 


पति की मौत के बाद वीरवती पूरे साल चौथ के दिन निर्जला व्रत रखकर पति का लंबी आयु की कामना करती है. अगले साल करवा चौथ पर विधि पूर्वक पूजा करके छलनी से चांद को और फिर पति के देखती है. करवा चौथ के व्रत के प्रभाव से वीरवती का पति फिर से जीवित हो जाता है. ऐसी मान्यता है कि व्रत के दौरान किसी बी प्रकार के छल से बचने के लिए छलनी से चांद को देखा जाता है. 


Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारियां सामाजिक और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee Media इसकी पुष्टि नहीं करता.