खेलो इंडियाः क्या इंजेक्शन के दम पर खिलाड़ी जीतेंगे पदक? अब कमेटी करेगी जांच
खेलो इंडियाः कर्ण स्टेडियम में इन दिनों खेलो इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाया गया है. इस कैंप के दौरान स्टेडियम परिसर में बड़ी मात्रा में स्टेडियम में बने शौचालय से प्रतिबंधित दवाइयों के इंजेक्शन बरामद हुआ है. मामला उजागर होने के बाद, जिला खेल विभाग हरकत में आया है और इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
कमरजीत सिंह विर्क/करनाल: हरियाणा के करनाल के कर्ण स्टेडियम में इन दिनों खेलो इंडिया प्रतियोगिता में भाग लेने वाले खिलाड़ियों के लिए ट्रेनिंग कैंप लगाया गया है. फेंसिंग और नौकायान के करीब 40 खिलाड़ी कर्ण स्टेडियम में प्रशिक्षण ले रहे हैं. इस कैंप के दौरान ही स्टेडियम परिसर में बड़ी मात्रा में इंजेक्शन सिरिंज व शक्ति वर्धक दवाइयों की शीशियां बरामद हुई हैं. खिलाड़ी स्टेडियम में बने शौचालय में प्रतिबंधित दवाइयों के इंजेक्शन लगाते हैं और वही से यह सामान बरामद हुआ है. सनसनीखेज मामला उजागर होने के बाद, जिला खेल विभाग हरकत में आया है और इस मामले की जांच शुरू कर दी गई है.
क्या और कौन सी दवाइयां खाते हैं खिलाड़ी?
डॉ मनन ने जानकारी देते हुए बताता कि बहुत पुराने समय से खिलाड़ी अपनी परफॉर्मेंस अच्छी करने के लिए यह दवाइयों का सेवन करते हैं. इनमें से सबसे ज्यादा खिलाड़ी रिथ्रोपोएटिन इंजेक्शन को लगाते है जो की शरीर के सिस्टेमिक सर्कुलेशन को बढाती है. इससे शरीर में आरबीसी बढ़ जाने से ऑक्सीजन का लेवल बढ़ जाता है, जो कि एथलीट को अच्छी परफॉर्मेस देने में मदद करता है.
डॉक्टर मदन ने बताया कि खिलाड़ी टेस्टोस्टरॉन इंजेक्शन का भी सेवन करते हैं जो सेक्सुअल व मस्क्युलर एक्टिविटी को तेज कर देता है. डॉक्टर ने बताया कि तीसरा इंजेक्शन एमफिट आमीन है जो कि हमारे दिमाग की एक्टिविटी को तेज कर देता है उससे भी खिलाड़ियों को अच्छी परफॉर्मेस देने में मदद मिलती है.
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इन इंजेक्शन के क्या है नुकसान
डॉ मनन ने बताया कि रिथ्रोपोएटिन इंजेक्शन से वो हार्मोन मिलता है जो हमारी किडनी बनाती है. जब खिलाड़ी इसे अच्छी परफॉर्मेंस के लिए लेते है तो शरीर में या तो किडनी इसे खुद बनाना बन्द कर देगी या ओवर डोज से रक्त गाड़ा होगा और दिल का दौरा पड़ने के हालात बन सकते है. डॉ ने बताया कि ज्यादा स्टिरॉइड लेने से शरीर को भयंकर बीमारिया जैसेः- कैंसर, दिल का दौरा पड़ना, ब्रेन स्ट्रोक आदि हो सकता है.
डोपिंग में 5 तरह की दवाएं आती हैं
स्टिरॉइड, पेप्टाइड हॉर्मोन, नार्कोटिक्स, डाइयूरेटिक्स और ब्लड डोपिंग इसमें खिलाड़ी कम उम्र के लोगों का ब्लड खुद को चढ़ाते हैं. इसे ब्लड डोपिंग कहा जाता है. कम उम्र के लोगों के ब्लड में रेड ब्लड सेल्स ज्यादा होते हैं जो खूब ऑक्सिजन खींच कर जबरदस्त ताकत देते हैं. स्टिरॉइड यह हमारे शरीर में पहले से ही मौजूद होता है, जैसे टेस्टेस्टेरॉन. जब ऐथलीट स्टिरॉइड के इंजेक्शन लेते हैं तो यह शरीर में मासपेशियां बढ़ा देता है, इसलिए पुरुष खिलाड़ी इसका इस्तेमाल करते हैं.
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पेप्टाइड हॉर्मोन स्टेरॉयड की ही तरह हॉर्मोन भी शरीर में मौजूद होते हैं. इंसुलिन नाम का हॉर्मोन डायबीटीज के मरीजों के लिए जीवन रक्षक हॉर्मोन है, लेकिन हेल्दी इंसान को अगर इंसुलिन दिया जाए तो इससे शरीर से फैट घटने लगती है और मसल्स बनती हैं. नार्कोटिक्स या मॉर्फीन जैसी दर्दनाशक दवाइयां डोपिंग में सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाती हैं. कॉम्पिटिशन के दौरान दर्द का अहसास होने पर अक्सर खिलाड़ियों को इन दवाइयों के इस्तेमाल करने की कोशिश करते हैं.
डाइयूरेटिक्स को लेने से शरीर पानी बाहर निकाल देता है. इसे कुश्ती या बॉक्सिंग जैसे मुकाबलों में अपना वजन घटा कर कम वजन वाले वर्ग में एंट्री लेने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पकड़े जाने पर:- इसके दोषियों को 2 साल या 4 साल की सजा से लेकर आजीवन पाबंदी तक सजा का प्रावधान है, जिला खेल अधिकारी अशोक दुआ ने स्टेडियम परिसर में बने शौचालय की तलाशी शुरू करवाई और वहां से बड़ी मात्रा में सीरीज और दवाइयों की शीशियां को बरामद किया.
अशोक दुआ ने बताया कि खिलाड़ी अपना परफॉर्मेंस बेहतर करने के लिए इस तरह की इंजेक्शन लगाते हैं जो की पूरी तरह से गलत है. मामले की गंभीरता को देखते हुए विभाग के सभी अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं और इसकी जांच के लिए कमेटी बनाई जाएगी. जांच में उन खिलाड़ियों को भी खोजा जाएगा जिन्होंने इस तरह की प्रतिबंधित दवाइयों को इंजेक्शन के जरिए लिया है.