करियर की शुरुआत में Lata Mangeshkar को इस गायिका ने दी थी चुनौती, फिर ऐसे बनीं स्वर साम्राज्ञी
Happy Birthday Lata Mangeshkar : 1947 में लता ने हिंदी फिल्मों में गाना शुरू किया. `आपकी सेवा में` वो पहली फिल्म थी, जिसे उन्होंने अपने सुरों से सजाया, लेकिन 1949 में एक के बाद एक चार फिल्में दुलारी, बरसात, महल और अंदाज रिलीज हुईं. इन सभी में लता ने अपनी आवाज दी.
Lata Mangeshkar Birthday : सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का आज जन्मदिन हैं. भले ही वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी गायकी हमेशा-हमेशा के लिए जिंदा है और जिंदा रहेगी. आज उत्तर प्रदेश के अयोध्या में उनके नाम पर स्मृति चौक का लोकार्पण होने वाला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअली इस कार्यक्रम में मौजूद रहेंगे.
सीएम योगी आदित्यनाथ व केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी चौक का उद्घाटन करेंगे. 7.9 करोड़ से बने इस चौक पर लता मंगेशकर के भजन गूंजेंगे और इसकी पहचान वीणा से होगी. इस 14 टन वजनी वीणा की लंबाई 10.8 मीटर और ऊंचाई 12 मीटर है. कांसे और स्टेनलेस स्टील से बनाई गई वीणा को पद्म पुरस्कार विजेता राम सुतार ने डिजाइन किया है.
स्वर साम्राज्ञी, बुलबुले हिंद और कोकिला जैसे नामों से चर्चित लता दीदी का जन्म 28 सितंबर 1929 को इंदौर में हुआ. उनके पिता और अपने जमाने के मशहूर कलाकार दीनानाथ मंगेशकर महाराष्ट्र में थिएटर कंपनी चलाते थे. भारत छोड़ो आंदोलन जब अपने पूरे चरम पर था तो मात्र 13 वर्ष की लता को छोड़कर उनके पिता दुनिया से चले गए.
इसके बाद लता मंगेशकर के कंधों पर पूरे परिवार का खर्च चलाने की जिम्मेदारी आ गई. उन्होंने उस्ताद अमान अली खान और अमानत खान से संगीत की शिक्षा ली. उन्होंने 1942 में ही एक मराठी फिल्म किती हासिल में गाना गाकर करियर की शुरुआत की, लेकिन बाद में किन्हीं कारणों से गाना हटा दिया गया.
'आपकी सेवा में' पहली हिंदी फिल्म
1947 में लता ने हिंदी फिल्मों में गाना शुरू किया. 'आपकी सेवा में' वो पहली फिल्म थी, जिसे उन्होंने अपने सुरों से सजाया, लेकिन 1949 में एक के बाद एक चार फिल्में दुलारी, बरसात, महल और अंदाज रिलीज हुईं. इन सभी में लता ने अपनी आवाज दी. उस समय हिंदी फिल्म संगीत की दुनिया में नूरजहां, शमशाद बेगम, और जोहराबाई अंबालेवाली जैसी हस्तियों का राज था.
30 हजार से ज्यादा गाने गाए
शुरुआत में उन्हें काम के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. कई संगीत निर्देशकों ने यह कहकर उन्हें गाने का मौका नहीं दिया था कि उनकी आवाज बहुत महीन है, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. 50 के दशक में जब नूरजहां पाकिस्तान चली गईं तो लता मंगेशकर ने अपनी उसी महीन आवाज की बदौलत पार्श्वगायिकी में अपना सिक्का जमा लिया.
नहीं किया ओपी नैयर के साथ काम
इसके बाद कोई ऐसी गायिका कभी नहीं आई, जो लता मंगेशकर के आगे टिक सके. भजन, गजल, कव्वाली, शास्त्रीय संगीत, सभी में उन्होंने हाथ आजमाया और अपने पूरे करियर में बीस से अधिक भारतीय भाषाओं में 30 हजार से ज्यादा गाने गाए. इसकी बदौलत उन्होंने 1991 में ही अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल करा लिया था. उन्होंने ओपी नैयर को छोड़कर हर बड़े संगीतकार के साथ काम किया. उन्हें दादा साहब फाल्के अवार्ड और देश का सबसे बड़ा सम्मान 'भारत रत्न' से नवाजा जा चुका है. 92 साल की उम्र में लता मंगेशकर का निधन इसी साल 6 फरवरी को मुंबई में हो गया था.