Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी एक-दूसरे पर कई विधानसभाओं में मतदाताओं के वोट कटवाने  लगा रहे हैं. इस बाबत आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और सीएम आतिशी समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने चुनाव आयुक्त से मुलाकात की थी. अब आज गुरुवार शाम चार बजे दिल्ली भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मुलाकात करेगा और वोटर लिस्ट सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करेगा. 


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दरअसल मनीष सिसोदिया समेत आप नेताओं ने बीजेपी पर चुनाव में हार के डर से 7 निर्वाचन क्षेत्रों में वोटर लिस्ट से नाम हटवाने का आरोप लगाया है. अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री आतिशी और अन्य नेताओं ने चुनाव आयुक्त के सामने 3 हजार पेज के सबूत पेश किए, जिसमें  बीजेपी पर दिल्ली के गरीब लोगों, दलितों और झुग्गियों में रहने वालों के वोट काटने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया गया है. 


झुग्गियों में रहने वालों के वोट काटने का आरोप 
केजरीवाल का आरोप है कि भाजपा ये सब कुछ जानबूझकर कर रही है. उन्होंने कहा, भाजपा दिल्ली में लोगों के वोट कटवाकर एक भारतीय नागरिक के रूप में लोगों को मिले अधिकारों को छीन रही है. शाहदरा में भाजपा के लोगों ने 11 हजार से ज्यादा वोट कटवाने के लिए चुनाव आयोग को एप्लिकेशन दी है. भाजपा ऐसे लोगों का वोट कटवा रही है जो झुग्गियों में रहते हैं. 


आयोग ने दिया आश्वासन 
केंद्रीय चुनाव आयोग ने आश्वासन दिया कि चुनाव से पहले बड़े पैमाने पर वोट नहीं काटे जाएंगे. अगर किसी एक व्यक्ति की ओर से 5 से अधिक लोगों के वोट कटवाने का आवेदन किया गया है तो SDM मौके पर जाकर इसकी जांच करेंगे. 


बीजेपी का संकल्प 
केजरीवाल के आरोपों पर दिल्ली भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा, भारतीय जनता पार्टी का दृढ़ संकल्प है कि इस चुनाव में एक भी फर्जी वोट नहीं डलने देंगे. दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी ईमानदारी से काम कर रहे डीएम और एसडीएम पर अवैध वोट न काटने का दबाव बना रही हैं. 


डर गए हैं केजरीवाल : सचदेवा 
सचदेवा के मुताबिक केजरीवाल डर गए हैं. फर्जी वोटों और अवैध बांग्लादेशी-रोहिंग्या घुसपैठियों के वोट दिल्ली में पकड़े गए हैं. ये वो वोट हैं जो आम आदमी पार्टी को चंदा देने वाले फाउंडेशन के पैसों से खरीदे जाते हैं. देश में सभी को अपनी बात कहने का अधिकार है, लेकिन केजरीवाल जैसे लोग जब पूरी संवैधानिक प्रक्रिया पर प्रश्नचिह्न लगाते हैं तो लोकतंत्र की रक्षा के लिए संवैधानिक संस्थाओं को गंभीरता से विचार करना चाहिए. 


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