Haryana Political Crisis: हरियाणा की BJP सरकार एक बार फिर मुश्किल में घिरती नजर आ रही है. कांग्रेस सरकार के अल्पमत होने को लेकर CM नायब सैनी से इस्तीफे की मांग करेगी. चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की मीटिंग में इस मुद्दे पर चर्चा की गई. इससे पहले भी कांग्रेस द्वारा CM सैनी से इस्तीफे की मांग की जा चुकी है. वहीं जजपा नेता दुष्यंत चौटाला भी राज्यपाल को चिट्‌ठी लिखकर सरकार से फ्लोर टेस्ट कराने की मांग कर चुके हैं. ऐसे में देखना होगा कि आने वाले समय में हरियाणा की राजनीति में क्या उठा-पटक देखने को मिलती है. 


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हरियाणा सरकार के अल्पमत में आने के वजह


BJP-JJP गठबंधन टूटा
हरियाणा में BJP-JJP गठबंधन की सरकार थी, लेकिन लोकसभा चुनाव के पहले BJP और JJP के बीच सीट शेयरिंग को लेकर सहमति नहीं बनने पर दोनों पार्टियों का गठबंधन टूट गया. हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए 46 विधायकों का होना जरूरी है. JJP के अलग होने के बाद BJP के पास 41 विधायक बचें, 5 निर्दलीय और एक हलोपा विधायक के साथ मिलकर सरकार बना ली. हालांकि, सियासी उठापटक में मनोहर लाल से CM पद की कुर्सी छिन गई और उनकी जगह पर नायब सैनी को प्रदेश का कमान सौंपी गई. 


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निर्दलीय विधायकों ने छोड़ा साथ
लोकसभा चुनाव के दौरान BJP को सपोर्ट करने वाले 3 निर्दलीय विधायक रणधीर गोलन, सोमवीर सांगवान और धर्मवीर गोंदर ने कांग्रेस का दामन थाम लिया, जिसके बाद हरियाणा सरकार अल्पमत में आ गई. 


बहुमत का आंकड़ा भी बदला
90 विधानसभा सीटों वाले हरियाणा में बहुमत के आंकड़े में भी बड़ा बदलाव हुआ है, अब हरियाणा में 90 की जगह केवल 87 विधायक ही बचे हैं. दअसल, सिरसा की रानियां विधानसभा से रणजीत सिंह चौटाला ने इस्तीफा दे दिया है. वहीं बादशाहपुर विधानसभा सीट से विधायक राकेश दौलताबाद का निधन हो गया और अंबाला लोकसभा सीट की मुलाना विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने अंबाला लोकसभा चुनाव में जीत हासिल कर ली है. ऐसे में अब विधानसभा में कुल 87 विधायक ही बचे हैं, जिसकी वजह से बहुमत का आंकड़ा 46 से कम होकर 44 हो गया है. 


विपक्ष के एकजुट होने से बढ़ सकती हैं BJP की मुश्किलें
वर्तमान में BJP के पास 41, एक निर्दलीय और एक हलोपा विधायक का समर्थन है. भाजपा के पास वर्तमान समय में कुल 43 विधायक हैं. वहीं विपक्ष की बात करें तो कांग्रेस के 29, जजपा के 10, निर्दलीय 4 और एक इनेलो विधायक हैं. अगर ये सभी एक साथ आ जाते हैं तो विपक्षी विधायकों की संख्या 44 हो सकती है और BJP सरकार अल्पमत में आ सकती है. हालांकि, इसकी संभावना कम है. ऐसे में अब देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले समय में हरियाणा की राजनीति में क्या उठा-पटक देखने को मिलती है.