Delhi Election 2025: केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने हाल ही में घोषणा की है कि उनकी पार्टी हम (HAM) आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अकेले लड़ेगी. यह निर्णय उस समय आया है, जब पहले यह कयास लगाए जा रहे थे कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) कुछ विधानसभा सीटें अपने सहयोगी दलों को दे सकती है. इस निर्णय ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है, क्योंकि इससे चुनावी समीकरण में बदलाव आ सकता है.


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सहयोगी दलों की मांग
HAM पार्टी ने जेडीयू और लोक जनशक्ति पार्टी के साथ मिलकर दिल्ली में विधानसभा सीटों की मांग की थी, लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि HAM स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. पार्टी के सूत्रों के अनुसार, उन्होंने भाजपा नेतृत्व से कई बार संपर्क किया, लेकिन उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई. यह स्थिति यह दर्शाती है कि सहयोगी दलों के बीच समन्वय की कमी है. 


पिछले चुनावों का परिणाम
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने जेडीयू को दो सीटें और लोक जनशक्ति पार्टी को एक सीट दी थी. जेडीयू ने बुराड़ी और संगम विहार सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि लोक जनशक्ति पार्टी ने सीमापुरी सीट पर अपनी किस्‍मत आजमाई थी. हालांकि, परिणामों की बात करें तो जेडीयू और एलजेपी दोनों ही कोई सीट नहीं जीत सकी थीं. जेडीयू को केवल 84 हजार वोट और एलजेपी को करीब 33 हजार वोट मिले थे.


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एनडीए की बैठक
दिल्ली में 25 दिसंबर को एनडीए की एक बैठक हुई, जिसमें चुनावी रणनीति पर चर्चा की गई. इस बैठक में हरियाणा और महाराष्ट्र में हुई जीत पर बधाई दी गई. झारखंड का भी जिक्र हुआ, जहां एनडीए के घटक दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था. भाजपा ने अपने सहयोगी दलों के बड़े नेताओं को दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रचार के लिए आमंत्रित किया है. 


पूर्वांचली वोटर्स पर ध्यान
दिल्ली में बड़ी संख्या में पूर्वांचली वोटर्स हैं, जिन पर एनडीए की नजर है. अब तक यह खबरें थीं कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू और अन्य नेता दिल्ली में एनडीए के लिए प्रचार कर सकते हैं, लेकिन जीतन राम मांझी ने अब खुद को अलग कर लिया है. यह निर्णय दिल्ली में पूर्वांचली वोटर्स की संख्या को देखते हुए महत्वपूर्ण है.


वोटरों की संख्या और प्रभाव
दिल्ली में बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और झारखंड मूल के करीब 25 फीसदी मतदाता रहते हैं. इनका करीब 20 सीटों पर दबदबा है, जिसमें गोकलपुर, मटियाला, द्वारका, नांगलोई, करावल नगर, जनकपुरी, त्रिलोकपुरी, बुराड़ी, उत्तम नगर, संगम विहार, किराड़ी, विकासपुरी और समयपुर बादली जैसी सीटें शामिल हैं. इन सीटों पर पूर्वांचली वोटर्स का प्रभाव चुनावी नतीजों को प्रभावित कर सकता है.