Delhi Assembly Election 2024: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले इंडी गठबंधन के दो अहम दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच मनमुटाव उभर कर सामने आने लगा है. कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर गठबंधन धर्म नहीं निभाने का आरोप लगाया. आईएएनएस को दिए साक्षात्कार में उन्होंने दिल्ली चुनावों में कांग्रेस की रणनीति, मुख्यमंत्री पद की दावेदारी और महाराष्ट्र में शिवसेना यूबीटी के साथ कांग्रेस के गठबंधन से जुड़े सवालों के जवाब दिए.


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मुफ्त में बांटने से नहीं होगा दिल्ली का विकास 


दिल्ली के चुनावों में आपको क्या उम्मीद है. इस सवाल पर संदीप दीक्षित ने कहा कि पिछले दो चुनावों से आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के खिलाफ एक माहौल बना रखा था और कांग्रेस के कई नेता आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके अलावा मुफ्त बिजली, पानी, मुफ्त बस सेवा जैसी योजनाओं ने जनता को आकर्षित किया, इससे कांग्रेस का सारा वोट बैंक आम आदमी पार्टी में चला गया, लेकिन हम बार-बार यह कहते रहे हैं कि दिल्ली में बुनियादी सुविधाओं की बहुत जरूरत है. इसके लिए बहुत पैसा खर्च करना होगा. अगर मुफ्त में बांटते रहेंगे तो दिल्ली का विकास नहीं हो पाएगा. 10 साल बाद आज यह बात साबित हो गया है. दिल्ली की जनता परेशान है इसलिए जो पहले कांग्रेस को छोड़कर अन्य पार्टियों में गए थे, वे कांग्रेस की ओर वापस देख रहे हैं. अगर हम इसे वोट में तब्दील कर पाए तो मुझे विश्वास है कि फरवरी के चुनाव में कांग्रेस नंबर एक पार्टी बनकर उभरेगी।


क्या दिल्ली में भ्रष्टाचार सबसे बड़ा मुद्दा है? इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि भ्रष्टाचार इसलिए बड़ा मुद्दा है क्योंकि आम आदमी पार्टी हमेशा ईमानदारी की बात करती रही है. शुरू में उन्होंने कांग्रेस के नेताओं पर कई बेबुनियाद आरोप लगाए थे. जो पार्टी झूठ बोलकर शुरू होती है, उस पर विश्वास करना मुश्किल है. जब विकास की बात आती है तो वह हुआ ही नहीं है. अदालत ने जब अरविंद केजरीवाल को बेल दी तो यह साफ कहा कि वह सरकारी फाइलों को नहीं देख सकते, वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ सकते, यह साफ दिखाता है कि सुप्रीम कोर्ट ने मान लिया है कि केजरीवाल संदेह के घेरे में हैं.


भ्रष्टाचार के सवाल तो जिंदा रहेंगे


क्या आतिशी को सीएम बना देना आम आदमी पार्टी को बचा पाएगा? संदीप दीक्षित ने कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप फाइलों पर साइन नहीं कर सकते न ही दफ्तर जा सकते हैं तो केजरीवाल को क्या करना था  फिर क्या वह ढोल बजाते? अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री इसलिए बने थे ताकि फाइलों में हेराफेरी कर सकें और टेंडर पास कर सकें लेकिन जब यह काम नहीं कर सकते तो उन्होंने अपनी जगह आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया. आम आदमी पार्टी के नेता खुद कहते हैं कि हमारी सबसे कमजोर नेता को मुख्यमंत्री बना दिया जो कभी केजरीवाल को चुनौती नहीं दे सकती थीं. अब चाहे केजरीवाल सीएम हों या आतिशी चेहरा तो केजरीवाल ही रहेंगे. भ्रष्टाचार के सवाल तो जिंदा रहेंगे चाहे वह मुख्यमंत्री पद पर हों या नहीं।


कांग्रेस ने केजरीवाल को निर्दोष कभी नहीं कहा 


कई बार आपके नेताओं ने अरविंद केजरीवाल की बेल के लिए आवाज उठाई, क्या यह पार्टी के लिए नुकसानदायक रहा? इस पर उन्होंने कहा कि किसी भी कानून के तहत पुलिस कस्टडी से तब किसी को जेल भेजा जाना चाहिए जब आरोप सिद्ध हो. क्योंकि केजरीवाल पर अभी तक आरोप सिद्ध नहीं हुए हैं, इसलिए हम हमेशा उनकी बेल के पक्ष में रहे लेकिन हमने यह कभी नहीं कहा कि वह निर्दोष हैं. 


केजरीवाल ने नहीं निभाया गठबंधन धर्म 


क्या राहुल गांधी ने केजरीवाल के लिए ज्यादा दरियादिली दिखाई? क्या केजरीवाल इस दरियादिली के हकदार नहीं थे? कांग्रेस नेता ने इस सवाल पर कहा कि राहुल गांधी एक बड़े दिल के व्यक्ति हैं. वह हमेशा कानून के साथ खड़े रहते हैं. जब किसी को गलत तरीके से जेल में रखा जाता है तो राहुल गांधी उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं. वह कभी नहीं कहते कि वह निर्दोष है बल्कि कहते हैं कि यह मामला अभी अदालत में है. केजरीवाल के जेल जाने के बाद राहुल गांधी ने हमेशा गठबंधन धर्म निभाया है, लेकिन केजरीवाल ने कभी गठबंधन धर्म नहीं निभाया। जब कांग्रेस के नेताओं को ईडी द्वारा बुलाया गया, तब केजरीवाल ने कुछ नहीं कहा. जब हमारे विधायक डराकर और धमकाकर जेल भेजे गए तब भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। 


सीएम उम्मीदवारी पर चुनाव बाद फैसला 


अगर कांग्रेस सत्ता में आती है तो क्या सीएम बनना चाहेंगे? इस पर संदीप दीक्षित ने कहा कि चुनाव के बाद ही यह निर्णय लिया जाएगा कि कौन मुख्यमंत्री बनेगा. उन्होंने ये भी कहा कि कांग्रेस ने कभी सीएम उम्मीदवार घोषित नहीं किया, लेकिन जब मौजूदा मुख्यमंत्री का काम अच्छा होता है तो हम उसे उम्मीदवार के तौर पर पेश करते हैं जैसे अमरिंदर सिंह या शीला दीक्षित। आम तौर पर हम सीएम उम्मीदवार का नाम पहले घोषित नहीं करते, क्योंकि यह प्रक्रिया हमारे संविधान के मुताबिक नहीं है. लोकतंत्र में विधायक का यह अधिकार होता है कि वह क‍िसे नेता चुनते हैं.