Mahendragarh News: परंपरागत खेती को छोड़ किसान ने नई तकनीक से उगाई स्ट्रॉबेरी, मिली 50% की सब्सिडी
खेती में लगातार बढ़ती लागत और कम पैदावार के चलते अब किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नई आधुनिक तकनीक से कृषि कार्यों में बदलाव कर रहे हैं. इन बदलाव से जहां किसान अपनी आय बढ़ाने का काम कर रहे हैं तो वहीं जहर मुक्त खेती भी कर रहे हैं.
Mahendragarh News: खेती में लगातार बढ़ती लागत और कम पैदावार के चलते अब किसान परंपरागत खेती को छोड़कर नई आधुनिक तकनीक से कृषि कार्यों में बदलाव कर रहे हैं. इन बदलाव से जहां किसान अपनी आय बढ़ाने का काम कर रहे हैं तो वहीं जहर मुक्त खेती भी कर रहे हैं. महेंद्रगढ़ जिले में अब किसान कृषि में नए और आधुनिक प्रयोग करके कुछ अलग कर रहे हैं.
महेंद्रगढ़ जिले के गांव धनौंदा के दीपक चौहान शिक्षा के क्षेत्र में लगे हुए थे, लेकिन पिछले 4 साल से अपनी MSc की पढ़ाई के बाद चल रही नौकरी को छोड़कर अब खेती में नई तकनीक पर कार्य कर रहे हैं. इसी प्रकार से दीपक के दोस्त राकेश भी खेती में कुछ अलग कर रहे हैं. प्रगतिशील किसान दीपक ने बताया कि वह महेंद्रगढ़ में स्ट्रॉबेरी की खेती कर कुछ अलग करने का काम कर रहे हैं. स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए अपने दोस्तों और इंटरनेट की मदद से यह काम शुरू किया है. इससे पहले पिछले 4 साल से दीपक वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने का काम कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि वर्मी कंपोस्ट के आरंभ में उन्होंने केवल दो बेड में खाद बनाने का काम शुरू किया था जो अब बढ़कर 100 बेड कर लिया है.
दीपक का कहना है कि वर्मी कंपोस्ट से उसे अच्छी खासी इनकम हो रही है और इससे उनका परिवार अच्छे से चल रहा है. इसके साथ ही उन्होंने स्ट्रॉबेरी पर भी काफी रिसर्च किया और सितंबर 2023 में स्ट्रॉबेरी की खेती शुरू की और दीपक को उम्मीद है कि इससे उसे अच्छी खासी इनकम होने की उम्मीद है. दीपक का अनुमान है कि सब कुछ अगर ठीक रहा तो एक एकड़ में उसे तीन से साढे तीन लाख रुपये की बचत हो सकती है.
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महेंद्रगढ़ जिले के प्रगतिशील किसान दीपक और उनके दोस्त राकेश ने दो एकड़ में स्ट्रॉबेरी की खेती की है और इस प्रकार से जिले में स्ट्रॉबेरी की खेती करके प्रगतिशील किसान नया करने का काम कर रहे हैं और साथ ही अपने परिवार की आय बढ़ाने का भी.
सरकार और हॉर्टिकल्चर विभाग की तरफ से भी किसानों को आत्मनिर्भर और उनकी आय दोगुनी करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं. जिले में बनाए गए एकीकृत बागवानी केंद्र सुंदरह की हॉर्टिकल्चर प्रमुख डॉक्टर नेहा यादव ने बताया कि बागवानी उद्यान केंद्र में किसानों को खेती और बागवानी के लिए प्रशिक्षण देने का काम किया जाता है. डॉक्टर नेहा यादव ने बताया कि किसानों को बागवानी केंद्र में बाग लगाने, नेट हाउस लगाने, ओपन में खेती को तैयार करने आदि की जानकारी दी जाती है और प्रशिक्षण भी दिया जाता है. उनके यहां किसानों को बागवानी के साथ अच्छी किस्म के पौध भी तैयार करके दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि सरकार की तरफ से किसानों को बागवानी में संतरा, किन्नू, अमरूद बेर आदि पर सब्सिडी देने का काम किया जाता है. इसके साथ ही सीड प्रोडक्शन बढ़ाने के लिए भी काम किया जा रहा है और इस बार मेथी की फसल जिले में 400 एकड़ बोने का टारगेट रखा तथा इसके लिए किसानों को 15,000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी भी दी जा रही. उन्होंने बताया कि बाग लगाने पर किसानों को 50% की सब्सिडी दी जाती है.
Input: Karamvir Singh