Mahesh Giri Hate Speech: न्याय शासनम कानूनी संस्था ने मंगलवार को पूर्वी दिल्ली के पूर्व सांसद और जूनागढ़ के पीठाध्यक्ष महेश गिरी के खिलाफ ज्योति नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई है. संस्था ने जैन समाज की धार्मिक भावनाओं को आहत करने और हिंसक भाषा का इस्तेमाल कर धमकाने का आरोप लगाते हुए महेश गिरी को गिरफ्तार करने की मांग की है.  


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पुलिस को दी शिकायत में कहा गया है कि महेश गिरी ने 28 अक्टूबर को सनातन धर्म के नाम से साधुओं का सम्मेलन किया था. इस दौरान जूनागढ़ के पीठाध्यक्ष और पूर्व बीजेपी सांसद ने गिरनार पर्वत पर दत्तात्रेय समाज का अधिकार बताते हुए जैन समाज के लिए आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया. उन्होंने जैन समाज, मुनियों और श्रद्धालुओं से पोछा लगवाने, सफाई करवाने की बात कही. न्याय शासनम कानूनी संस्था ने बताया कि महेशगिरी के सहयोगी जैन श्रद्धालुओं के साथ पहले भी मारपीट, धमकी और उन पर जानलेवा हमला कर चुके हैं. 


गिरनार पर अधिकार की लड़ाई 
दरअसल गुजरात के जूनागढ़ स्थित पहाड़ियां गिरनार नाम से जानी जाती हैं. ऐसा माना जाता है कि यहां जैन धर्म के 22वें तीर्थंकर श्री नेमिनाथ ने निर्वाण प्राप्त किया था. जैन समाज के लोगों के लिए यह तीर्थ स्थल है. वहीं गिरनार को त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु और महेश) के अवतार दत्तात्रेय का स्थल भी माना जाता है. यहां स्थित निर्माण स्थल पर अधिकार को लेकर विवाद काफी समय से चला आ रहा है.


2013 में जैन मुनि पर हुआ था जानलेवा हमला 
जैन समाज के लोगों का कहना है कि महेश गिरी ने मंच से धमकी दी कि जो भी जैन नागा साधु और जैन समाज का व्यक्ति गिरनार शिखर पर जाएगा, उसका सफाया कर दिया जाएगा. इस धमकी से जैन साधुओं, मुनि महाराज, श्रद्धालुओं को महेश गिरी से जान और माल का भय है. वर्ष 2013 में दत्तात्रेय समाज के कार्यकर्ताओं ने दिगंबर जैन मुनि श्री प्रबल सागरजी महाराज पर चाकुओं से कातिलाना हमला किया था. साथ ही जैन समाज के श्रद्धालुओं को भी गंभीर रूप से चोटिल कर दिया था. 


जैन समाज ने की ये अपील 
जैन समाज ने महेश गिरी के कृत्य की निंदा की. साथ ही कहा कि वे जैन समुदाय को धमकाने के लिए संपूर्ण जैन समाज से माफी मांगें और सुनिश्चित करें कि भविष्य में कभी ऐसी सभाएं आयोजित कर किसी भी समाज, व्यक्ति, समुदाय, धर्म आदि के प्रति भड़काऊ भाषा का इस्तेमाल नहीं करेंगे. उन्होंने कहा कि जैन समाज अहिंसा की पुजारी जरूर है, परन्तु कायर नहीं है. जैन समाज पूर्णतया सक्षम है. वह किसी भी पार्टी या सरकार से आरक्षण और आर्थिक सहयोग की आशा नहीं करता है. इसलिए विनम्र अपील है कि सभी धर्म और समुदायों के लोग शांति और कानूनी व्यवस्था बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान करें.