सांसद दीपेंद्र हुड्डा बोले- हरियाणा में खिलाड़ियों के लिए 3 प्रतिशत आरक्षण को बहाल किया जाए
सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज राज्यसभा में कहा कि हुड्डा सरकार के समय पदक लाओ पद पाओ नीति के तहत बड़ी संख्या में खिलाड़ियों को डीएसपी समेत अन्य सरकारी पदों पर नियुक्त किया जाता था. वहीं उन्होंने कहा कि एथलीट और खिलाड़ी सभी को एक श्रेणी में न रखा जाए.
चंडीगढ़: सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने आज राज्यसभा में राष्ट्रीय डोपिंग रोधी विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए. इस दौरान उन्होंने हरियाणा की पदक लाओ, पद पाओ नीति को देशव्यापी स्तर पर लागू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि खिलाड़ी इसलिए डोपिंग करता है, क्योंकि उसे लगता है कि जीत गए तो सब कुछ है और हार गए तो कुछ नहीं है. ऐसे में पदक लाओ पद पाओ जैसी नीतियों से विजेता खिलाड़ी को सरकारी नौकरी देकर यदि उसका भविष्य सुरक्षित कर दिया जाए तो फिर उसे खास चिंता नहीं रहती है.
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इस दौरान दीपेंद्र हुड्डा ने सदन में मांग की कि हरियाणा में सरकारी नौकरियों में खिलाड़ियों के लिए जो 3 प्रतिशत आरक्षण था उसे मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार ने खत्म कर दिया है. इसे दोबारा बहाल किया जाए. सांसद दीपेंद्र ने बताया कि हुड्डा सरकार के समय पदक लाओ पद पाओ नीति के तहत बड़ी संख्या में खिलाड़ियों को डीएसपी समेत अन्य सरकारी पदों पर नियुक्त किया गया था, लेकिन उसे भी वर्तमान सरकार ने बंद कर दिया. उन्होंने केंद्र सरकार से आग्रह किया कि हरियाणा में पहले की तरह पदक विजेता खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियों में नियुक्ति दी जाए.
चर्चा के दौरान उन्होंने राष्ट्रीय डोपिंग रोधी बिल को देश के खेल-खिलाड़ियों की साख बढ़ाने वाला एक सकारात्मक कदम बताया और कई महत्वपूर्ण सुझाव देते हुए कहा कि खेल हमारे लिए राजनीति से ऊपर का विषय है. खिलाड़ी हमारे देश की धरोहर हैं. उन्हें डोपिंग के दुष्चक्र से बचाने के लिए कदम उठाए की जरूरत है. उन्होंने सुझाव दिया कि नाडा को स्टेच्युटरी बॉडी बनाया जाए, जिसमें डोपिंग कंटोल प्रकिया वाडा के नियमों के अनुरूप हो. वाडा के कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन का एक बेंच हिन्दुस्तान में भी हो ताकि हमारे खिलाड़ियों को अपील के लिए स्विट्जरलैंड न जाना पड़े.
उन्होंने कहा कि एथलीट और खिलाड़ी सभी को एक श्रेणी में न रखा जाए बल्कि कम उम्र वाले नए खिलाड़ियों पर कम पेनाल्टी का प्रावधान हो. उन्होंने कहा कि अभी तक जिला स्तर पर, राज्य स्तर पर और राष्ट्रीय स्तर पर भी अनिवार्यता से कोई टेस्टिंग नहीं होती. उन्होंने मांग की कि राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर टेस्टिंग हो. रैंडम सैंपलिंग की बजाय 5 या 10 प्रतिशत खिलाड़ियों की टेस्टिंग की अनिवार्यता का प्रावधान हो. रेगुलेटरी बॉडीज में जहां नियुक्ति के नियम हैं. वहीं बोर्ड में हटाने का आधार अच्छे से अंकित करने की अनिवार्यता का भी प्रावधान हो. खेलो इंडिया प्रतियोगिता में विजेता खिलाड़ियों को देश में कहीं भी लाभ नहीं मिल रहा है. इसलिए खेलो इंडिया को भी राष्ट्रीय स्तर पर जोड़ा जाए.
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि पहले के जमाने में कहा जाता था कि पढ़ोगे, लिखोगे बनोगे नवाब और खेलोगे कूदोगे होगे खराब. हमने हरियाणा में उसको बदलने का प्रयास किया और कहा कि खेलोगे कूदोगे होगे लाजवाब और पढ़ोगे, लिखोगे होगे कामयाब. उनकी सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए अनिवार्य स्पैट नीति बनाई थी, जिसके तहत शीर्ष प्रदर्शन करने वाले बच्चों को 1500-2000 रुपये का मानदेय मिलता था. हमारी सरकार ने ग्रामीण स्तर पर खेल स्टेडियमों की व्यवस्था की गई, उनमें कोच आदि की नियुक्ति की गई और बच्चों में शुरुआती उम्र से ही खेल प्रतिभा को निखारने का प्रयास किया गया. दीपेंद्र हुड्डा ने यह भी जोड़ा कि इतनी बढ़िया खेल नीति से यदि 2 प्रतिशत आबादी वाला हरियाणा 50 प्रतिशत पदक जीत सकता है तो इस नीति को देशव्यापी स्तर पर लागू किया जाए तो पदकों की झड़ी लग जाएगी.
हिन्दुस्तान के गांवों में सबसे ज्यादा प्रतिभाएं हैं और उन्हें सही फ्रेमवर्क देने की जरुरत है. प्रदेशों की अच्छी नीतियों को देश स्तर पर लागू किया जाए तो सकारात्मक परिणाम आएंगे. इसका उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि हरियाणा 2 प्रतिशत आबादी वाला छोटा सा प्रदेश है. 2004 के बाद कांग्रेस की हुड्डा सरकार ने पदक लाओ पद पाओ नीति को लागू किया, जिसका नतीजा ये हुआ कि 2010 कॉमनवेल्थ खेलों में 39 में से 22 गोल्ड मेडल अकेले हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते. पिछले 3 एशियाई, कॉमनवेल्थ और ओलंपिक खेलों में 40 से 50 प्रतिशत मेडल हरियाणा के खिलाड़ियों ने जीते. इसके पीछे खिलाड़ियों के हित की नीतियां थीं.