Neeraj Chopra: भारत के गोल्डन बॉय नीरज चोपड़ा ने एक बार फिर इतिहास रच दिया है. वह विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट बन गए हैं. हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट के नेशनल एथलेटिक्स सेंटर में नीरज ने जेवलिन थ्रो इवेंट में 88.17 मीटर के थ्रो के साथ स्वर्ण पदक पर निशाना साधा. विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में नीरज चोपड़ा के गोल्ज मेडल जीतने के बाद देशभर में खुशी की लहर है. वहीं नीरज की जीत के बाद उनके गांव खंडरा में भी जश्न का माहौल नजर आया है, लोगों ने एक दूसरे को लड्डू खिलाकर अपनी खुशी जाहिर की. 


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नीरज चोपड़ा के चाचा भीम चोपड़ा ने कहा कि नीरज देश की उम्मीदों पर खरे उतरे हैं. उन्होंने बताया कि इस गोल्ड मेडल के लिए नीरज ने कड़ी मेहनत की है, वो पिछले 6 महीने से विदेश में विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप की तैयारी कर रहे थे. नीरज चोपड़ा का मुख्य फोकस विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतना था. भीम चोपड़ा ने कहा कि चोट खेल का एक भाग है, इसलिए जब नीरज को ग्रोइंग इंजरी हुई थी तब विशेषज्ञ ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी. उन्होंने बताया कि 1 महीने के आराम के बाद नीरज की वापसी काफी दमदार है. उन्होंने कहा कि नीरज ने एक तीर से दो निशाने लगाए हैं. वर्ल्ड एथलेटिक्स चैंपियनशिप में क्वालीफाई करने के साथ ही उन्होंने ओलंपिक के लिए भी क्वालीफाई कर लिया. भीम ने बताया कि नीरज चोपड़ा अगले साल पेरिस में होने वाले ओलंपिक की तैयारी करने के साथ एशियन गेम्स डायमंड लीग फाइनल मैच की भी तैयारी कर रहे हैं. देश की उम्मीद पर खरा उतरने के लिए नीरज चोपड़ा दिन रात मेहनत कर रहे हैं और उनकी मेहनत का परिणाम सामने आ रहा है.


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नीरज चोपड़ा के पिता सतीश ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि देश ,गांव व परिवार के लिए यह बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने बताया कि अगला इवेंट खेलने के बाद वह अपने गांव आएंगे. उन्होंने कहा कि नीरज चोपड़ा देश का नाम रोशन करने में जी जान एक कर देगा. पिता सतीश ने नीरज को संदेश दिया कि इस जीत को बार-बार दोहराता रहे. पिता ने कहा कि पिछली वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने के बाद मन में गोल्ड मेडल जीतने की कसक थी, जिसे आज नीरज ने पूरा कर लिया. 


नीरज चोपड़ा के गांव के लोगों का कहना है कि परमात्मा ने मेहनत और करनी फल दिया है कि आज उसने गोल्ड मेडल जीता है. उन्होंने कहा कि नीरज बचपन से सरकारी स्कूल में पढ़ने के बाद साइकिल से शहर में प्रैक्टिस के लिए आता जाता था. ग्रामीणों ने कहा कि उसकी मेहनत रंग लाई और उसने गोल्ड मेडल जीत कर एक बार फिर गांव का नाम रोशन किया है. उसकी जीत से युवाओं को बहुत प्रेरणा मिल रही है, युवा आगे आएंगे और गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन करेंगे.


Input- Rakesh Bhayana