आदित्य/ नई दिल्ली: रोटी कपड़ा और मकान ये तीन शब्द फ़िल्मी नहीं हैं, ये आज की हक़ीक़त हैं. भारत में ही नहीं पूरे विश्व में ग़रीबी एक अभिशाप है. आज हर किसी की प्राथमिक आवश्यकता है एक छत, समय पर खाना और तन ढंकने को कपड़ा. वैसे तो भारत सरकार ने कई राज्यों में गरीब वर्ग के लोगों को आवास उपलब्ध कराए हैं, लेकिन बीते दिनों दिल्ली में जब प्रधानमंत्री मोदी ने 3000 परिवारों को DDA द्वारा बनाए गए फ़्लैट की चाबी सौंपी तो लोगों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा. लोग मोदी सरकार के इस फैसले से बेहद खुश है.


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अभी जिस तरीके से पेपर वेरिफिकेशन का काम चल रहा है उस हिसाब से इन नवनिर्मित फ़्लैट में पूर्ण तरीक़े से गृहप्रवेश होने में लगभग 15दिन लगेंगे. लेकिन यहां पर अपने फ्लैट का अलॉट्मेंट नम्बर और ब्लॉक जानने के लिए आने वालों की ख़ुशी ही अलग है.


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जिस तरीक़ों से ये फ़्लैट बनाए गए हैं वो वाकई में अपने घर जैसे होने का एहसास देते हैं. एक परिवार के लिए इन फ़्लैट्स में पर्याप्त जगह है. किचन, एक कमरा, हाल, अलग शौच और स्नान के लिये पर्याप्त जगह है. यहां कई लोग जो दिल्ली की कई झुग्गियों में 40-50 सालों से रह रहें हैं. उन्हें इस बात की खुशी है कि 30 साल बाद ही सही उनकी अपनी छत होगी, पति के ना रहने अपने बच्चों की ज़िम्मेदारी पूरी कर चुकी फ़ातिमा अब इस बात को लेकर बहुत खुश हैं कि उनके नाती-पोते पक्की छत में आएंगे. मोदी जी को बहुत धन्यवाद भी कर रही हैं.


मोदी जी से फ्लैट की चाबी मिलने पर फातिमा बेहद खुश हैं, उन्होंने कहा कि बच्चे से लेकर बुजुर्गों में विशेष उत्साह है. बच्चे अभी से इस बात को लेकर खुश हैं कि अब उन्हें खेलने के लिए सुरक्षित जगह मिलेगी और मन लगाकर पढ़ पाएंगे. उनके दोस्त भी अब यहां आने वाले हैं, सब साथ मिलकर पढ़ेंगे और खेलेंगे.


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जबकि आर्यन और राशि ने कहा कि हर किसी का सपना होता है कि जिस शहर में उनकी जीविका चल रही हो वहां अगर उनका ख़ुद का मकान हो जाए वो किसी ख़ुशी से कम नहीं होता. ख़ुद का मकान हो, फिर वह चाहे एक कमरे का हो या महल. छत जरूरी होती है.