कूड़ेदान बनाने को लेकर दिल्ली के मुबारकपुर डबास गांव में प्रशासन और ग्राम वासियों के बीच घमासान

बुधवार को दिल्ली के मुबारकपुर डबास गांव में प्रशासन और ग्राम वासियों के बीच घमासान देखना को मिला. कूड़ेदान बनाने को लेकर शुरू हुआ ये घमासान पूरे दिन जारी रहा और अंत में प्रशासन पीछे हटा और प्रशासन ने ग्राम वासियों की मांग स्वीकार कर ली.

Deepak Yadav Thu, 25 Jul 2024-9:29 am,
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 बुधवार के दिन राजधानी दिल्ली के किराड़ी विधानसभा के अंतर्गत मुबारकपुर डबास गांव में ग्राम वासियों का प्रदर्शन देखने को मिला. शमशान घाट के सामने कूड़ेदान बनाने को लेकर शुरू हुआ प्रदर्शन पूरा दिन जारी रह. इस दौरान तमाम बड़ी संख्या में महिला, बुजुर्ग और तमाम लोग धरने पर बैठ गए और अपना रोष जताने लगे. स्थिति को देखते हुए पुलिस बल को भी तैनात कर दिया गया.

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360 गांवों के प्रधान सुरेंद्र सोलंकी भी प्रदर्शन कर रहे ग्राम वासियों के बीच पहुंच गए और ग्राम वासियों की मांग के समर्थन में सभी के साथ धरने पर बैठ गए. प्रधान सुरेंद्र सोलंकी ने बताया कि शमशान घाट के सामने दिल्ली नगर निगम कूड़ेदान बनाना चाहता है. जिसके लिए निगम पूरे दलबल के साथ गांव में पहुंचा. सभी ग्रामवासी इसके विरोध में इकट्ठा हो गए और प्रशासनिक अधिकारियों से बातचीत कर कूड़ेदान न बनाने की बात रखी गई. बावजूद इसके ग्रामवासियों एक न सुनी गई.

 

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जिसके बाद बड़ी संख्या में ग्रामवासी धरने पर बैठ गए. प्रधान सुरेंद्र सोलंकी ने कहा कि पुलिस प्रशासन के द्वारा धरने को जबरदस्ती खत्म करने का प्रयास किया गया और महिला सहित तमाम ग्राम वासियों अपमान किया गया. जिसके बाद लोगों में आक्रोश बढ़ गया और दिल्ली देहात के तमाम गांवों से लोगों ने प्रदर्शन स्थल की ओर कूच करना शुरू कर दिया. सभी लोगों ने दोषी पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर की.

 

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हालातों को देखते हुए मौके पर एहतियात के तौर पर पुलिस बल बढ़ा दिया गया और मामले की जानकारी दिल्ली के तमाम बड़े शासन और प्रशासन तक पहुंची. ऐसे में मामले की गंभीरता को देखते हुए तुरंत संज्ञान लिया गया और कई प्रशासनिक अधिकारी ग्राम वासियों के बीच पहुंचे और बातचीत कर मसले को हल करने का प्रयास किया गया.

 

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कई बड़े अधिकारियों ने ग्राम वासियों से बातचीत की और अंत में तय हुआ कि श्मशान घाट के सामने कूड़ेदान नहीं बनेगा. पुलिस अधिकारियों की ओर से गलती स्वीकार की. जिसको 360 गांवों के प्रधान सुरेंद्र सोलंकी ने दिल्ली देहात की जीत बताया. जिसके बाद लोगों ने प्रदर्शन खत्म किया और अपने घरों की ओर लौट गए.

 

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