Kumbh Mela 2025: महाकुंभ में पहली बार ई-रिक्शा, पिंक व्हीकल और ग्रीन एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा इस बार के कुंभ में सिंगल यूज प्लास्टिक पर भी सरकार की पैनी नजर है. महाकुंभ मेला क्षेत्र को प्लास्टिक प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर हरित ऊर्जा यानी की ग्रीन एनर्जी पर बल दिया गया है.
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Kumbh Mela 2025: महाकुंभ में पहली बार ई-रिक्शा, पिंक व्हीकल और ग्रीन एनर्जी पर जोर दिया जा रहा है. इसके अलावा इस बार के कुंभ में सिंगल यूज प्लास्टिक पर भी सरकार की पैनी नजर है. महाकुंभ मेला क्षेत्र को प्लास्टिक प्रतिबंधित क्षेत्र घोषित कर हरित ऊर्जा यानी की ग्रीन एनर्जी पर बल दिया गया है.
डिजिटल प्लेटफॉर्म पर है सभी जानकारी
श्रद्धालुओं को किसी भी तरह की असुविधा न हो इसके लिए सभी जानकारियां डिजिटल प्लैटफॉर्म पर उपलब्ध करवा दिया गया है. इसके अलावा मेला क्षेत्र में यातायात की पूरी व्यवस्था की गई है. यात्रियों को कम से कम चलना पड़े इसके लिए शटल बस सेवा की भी व्यवस्था की गई है.
हजारों डस्टबिन की है व्यवस्था
मेला क्षेत्र को पूरी तरह से साफ-सुथरा बनाए रखने के लिए हजारों डस्टबिन की व्यवस्था की गई है. मेला क्षेत्र में पैदा हो रहे गंदगी को जमा करने के लिए हजारों डस्टबिन रखे गए हैं. इसके अलावा 150 टिपर की व्यवस्था की गई है जिससे कि जमा गंदगी को तुरंत वहां से हजाया जा सके.
ऐप के जरिए कर सकते हैं शिकायत
चूंकि इस मेला में डिजिटल माध्यम का खूब उपयोग हो रहा है तो ऐसे में अगर कहीं गदगी जमा हो गई है तो ऐप के जरिए इसकी जानकारी प्रशासन तक पहुंचाई जा सकती है. गंदगी की शिकायत मिलते ही टिपर वहां पहुंचकर कचरों को उठा ले जाएगा. इस तरह से मेला को स्वच्छ रखने के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं.
नदियों को गंदगी से बचाने की ये है योजना
महाकुंभ में उम्मीद के मुताबिक करीब 45 करोड़ लोग स्नान करेंगे तो ऐसे में नदियों को प्रदूषण और गंदगी मुक्त बनाने की भी ठोस योजना है. पूरे शहर में 12-12 सदस्यों की 2 टीमें और 6 इंफोर्समेंट व्हीकल के साथ स्वच्छ प्रयागराज, प्लास्टिक मुक्त प्रयागराज का अभियान चला रही हैं. मेला क्षेत्र को को 3 नोट और 8 जोन में बांटा गया है.
सिंगल यूज प्लास्टिक को लेकर प्रशासन है सख्त
दुकानदारों को सिंगल यूज्ड प्लास्टिक से बचने का सलाह दिया गया है. इसके अलावा गंदगी फैलाने वाले और नगर निगम की ओर से जारी नियमों को न मानने वालों के खिलाफ कार्रवाई भी की जाएगी. प्लास्टिक कप के विकल्प के तौर पर कुल्हड, दोनें, पत्तल के अलावा कपड़े और जूट के थैलों के प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है.