Budget Session of Parliament 2023: बजट सत्र के सातवें दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दे रहे हैं. इस दौरान उन्होंने सबसे पहले कहा कि 'मैं राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद करता हूं और यह मेरा सौभाग्य रहा है कि पहले भी कई बार उनके अभिभाषण पर धन्यवाद करने का अवसर मिला है, लेकिन इस बार धन्यवाद के साथ उनका अभिनंदन भी करना चाहता हूं.'


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बीते दिनों धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान राहुल गांधी ने लोकसभा में बोलते हुए नरेंद्र मोदी पर तीखे वार किए थे और कई सवाल किए थे. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने अडानी मुद्दे पर भी मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा किया था. तो वहीं, पीएम मोदी ने आज अपने संबोधन में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा है. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि इस चर्चा में सबने हिस्सा लिया और सबने अपने-अपने आंकड़े, तर्क दिए और अपनी रुचि, प्रवृत्ति, प्रकृति के अनुसार अपनी बातें रखीं.


कल कुछ लोग उछल रहे थे


उन्होंने कहा जब इन बातों को समझने का प्रयास करते हैं तो ध्यान में आता है कि किसकी कितनी क्षमता, योग्यता, समझ और किसका क्या इरादा है. जब राष्ट्रपति का भाषण हो रहा था तो कुछ लोग कन्नी भी काट गए और एक बड़े नेता राष्ट्रपति का अपमान भी कर चुके हैं. जनजातीय समुदाय के प्रति नफरत और उनके प्रति उनकी सोच क्या है ये भी दिखाई दी है. जब टीवी पर इस प्रकार की बातें कही गई तो अंदर पड़ा नफरत का भाव बाहर आ गया.


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पीएम ने अपने संबोधन में आगे कहा कि 100 साल में आई यह भयंकर महामारी, दूसरी तरफ युद्ध की स्थिति, बटां हुआ विश्व और इस संकट के माहौल में भी देश को जिस तरह से संभाला गया है इससे पूरा देश आत्मविश्वास से भर रहा है. आज पूरे विश्व में भारत को लेकर पॉजिटिविटी, आशा, भरोसा है. ये खुशी की बात है कि आज भारत को G20 की अध्यक्षता का अवसर मिला है. ये देश और 140 करोड़ देशवासियों के लिए गौरव की बात है, लेकिन मुझे लगता है कि शायद इससे कुछ लोगों को दुख है. वे आत्मनिरीक्षण करें कि वे कौन लोग हैं.


उन्होंने आगे कहा कि कई देश युद्ध के कारण अस्थिरता से पीड़ित हैं. हमारे पड़ोसी सहित कई अन्य लोग मुद्रास्फीति, बेरोजगारी और खाद्य सुरक्षा की कमी का सामना कर रहे हैं. मुश्किल समय के बीच भारत पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बना. लगभग तीन दशकों तक भारत में राजनीतिक अस्थिरता रही. आज हमारे पास एक स्थिर और निर्णायक सरकार है. निर्णायक सरकार हमेशा देश के हित में निर्णय लेने का साहस रखती है. पिछले 9 साल में 90,000 स्टार्टअप सामने आए हैं. स्टार्टअप्स में हम दुनिया में तीसरे नंबर पर हैं.


पीएम आगे बोले भारत मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में उभर रहा है. दुनिया भारत की समृद्धि में अपनी समृद्धि देखती है. निराशा में डूबे कुछ लोग इस देश के विकास को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. वे लोगों की उपलब्धियों को देखने में विफल रहते हैं. ये निराशा ऐसे नहीं आई, इस निराशा के पीछे कारण है, एक तो जनता का बार-बार हुकुम 2004 से 2014 तक भारत की अर्थव्यवस्था खस्ताहाल हो गई, इस पर निराशा नहीं होगी तो क्या होगी. 10 साल में महंगाई डबल डिजिट रही इसलिए अगर कुछ अच्छा होता है तो निराशा और उभर कर आती है.


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उन्होंने कहा 2010 में देश में राष्ट्रमंडल खेल हुए भारत की युवा सामर्थ्य को दुनिया के सामने प्रस्तुत करने बहुत बड़ा अवसर था, लेकिन CWG घोटाले में पूरा देश दुनिया में बदनाम हो गया. सदी के दूसरे दशक में देश की चर्चा ब्लैकआउट के नाते हुई. पूरे विश्व में ब्लैकआउट के वे दिन चर्चा में आ गए. 2014 से पहले का दशक हमेशा द लॉस्ट डिकेड के रूप में याद किया जाएगा, लेकिन 2030 का दशक भारत का दशक है.


पीएम ने कहा कि इन्होंने 9 साल आलोचना करने की जगह आरोप में गंवा दिए. चुनाव हार जाओ तो EVM को गाली, चुनाव आयोग को गाली. कोर्ट में फैसला पक्ष में नहीं आया तो सुप्रीम कोर्ट की आलोचना, भ्रष्टाचार की जांच हो रही हो तो जांच एजेंसियों को गाली, सेना अपना पराक्रम दिखाए तो सेना को गाली. आर्थिक प्रगति पर जब चर्चा होती है, तो यहां से निकल कर RBI को गाली देते हैं. 9 साल में कंस्ट्रक्टिव क्रिटिसिज्म की जगह कंपल्सिव क्रिटिसिज्म ने ले ली है और ये इसी में खोए हैं. सदन में जांच एजेंसियों के बारे में बहुत कुछ कहा गया, कई लोग इस सुर में सुर मिला रहे थे.


उन्होंने आगे कहा कि कुछ लोगों को यहां हार्वर्ड स्टडी का क्रेज है. कोरोना काल में कांग्रेस ने कहा था कि भारत की बर्बादी पर हार्वर्ड में केस स्टडी होगी. बीते वर्षों में हार्वर्ड में एक बहुत अच्छी स्टडी हुई है, उसका शिर्षक था 'द राइज एंड डिक्लाइन ऑफ इंडिया कांग्रेस पार्टी'. मुझे भरोसा है कि भविष्य में हार्वर्ड ही नहीं बल्की बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों में कांग्रेस की बर्बादी और डूबाने वाले लोगों पर अध्ययन होना ही है. ऐसे लोगों के लिए दुष्यंत कुमार ने एक बात कही है कि, तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं.