अग्निपथ योजना के विरोध में कहीं आगजनी तो किसी घर का बुझा चिराग, युवक ने किया सुसाइड
सेना भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर नाराजगी बढ़ने लगी है. बुधवार को अग्निपथ योजना के विरोध में पलवल, गुरुग्राम समेत कई हिस्सों में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं.
राज टाकिया/रोहतक: सेना भर्ती के लिए केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना को लेकर नाराजगी बढ़ने लगी है. बुधवार को अग्निपथ योजना के विरोध में पलवल, गुरुग्राम समेत कई हिस्सों में हिंसा और आगजनी की घटनाएं हुईं. 14 जून को जब इस योजना की घोषणा की गई तो ये बात लंबे समय से सेना भर्ती की तैयारी कर रहे युवाओं को रास नहीं आई. 5-5 साल से भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों को जब पता चला कि योजना के तहत भर्ती होने वाले जवान (अग्निवीर ) 4 साल में ही रिटायर हो जाएंगे तो उन्हें अपने सपने चकनाचूर होते महसूस हो रहे हैं. योजना के विरोध में आज जींद के रहने वाले 23 वर्षीय सचिन लाठर ने खुदकुशी कर ली. रोहतक की देव कॉलोनी स्थित पीजी में सचिन ने गले में फंदा डालकर जान दे दी. जब सुबह दोस्त उसे प्रैक्टिस के लिए जगाने आए तो उन्हें इस बारे में पता चला.
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6 भाई-बहनो में सबसे छोटा था
सचिन जींद के लजवाना कलां का रहने वाला था और काफी समय से सेना भर्ती की तैयारी कर रहा था. सचिन के पिता सत्यपाल भी सेना से सेवानिवृत्त हुए थे.
सचिन पिता की तरह ही आर्मी में जाने का सपना लेकर करीब 3 साल पहले जींद से रोहतक आ गया था, लेकिन उसका यह सपना अधूरा ही रह गया. हालांकि बेटे की मौत से दुखी सचिन के पिता इसमें किसी को दोषी नहीं मानते। उनका कहना है कि बस उनके बेटे का टाइम आ गया था.
सचिन 6 भाई-बहनों में सबसे छोटा था. मां नहीं थी. मौसी राजवंती और भाई प्रदीप ने बताया कि सचिन ने गोवा की भर्ती में मेडिकल और फिजिकल दोनों क्लियर कर रखे थे. इंतजार था तो बस अब इंटरव्यू और सिलेक्शन का, लेकिन उसने ये कदम क्यों उठाया. दरअसल युवाओं की सबसे बड़ी चिंता यह है कि योजना के तहत सिर्फ चार साल की नौकरी के बाद वे क्या करेंगे और इसी का विरोध धीरे-धीरे बढ़ता जा रहा है.
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सचिन के दोस्तों और परिजनों ने उठाए सवाल
सचिन के साथ अलग अलग भर्ती की तैयारी कर रहे नौजवानों ने बताया कि सरकार युवाओं को 4 साल की कैंडी देकर चुप कराना चाहती है. युवाओं ने सरकार से भर्ती मांगी तो भर्ती की जगह सरकार ने अग्निपथ दे दिया. क्या मोदी सरकार यही चाहती है कि किसान का बेटा किसान ही रहे. 4 साल के बाद युवा कहां नौकरी करेंगे. न वो पढ़ाई में रुचि रख पाएगा और न ही किसी प्राइवेट फर्म में. क्या किसी ने सोचा की जिन 75% युवाओं को निष्कासित कर दिया जाएगा उनके मनोबल पर क्या असर पड़ेगा. 4 साल बाद जब युवा सेना से बाहर आने के बाद नौकरी की तलाश में किसी कंपनी में जाएंगे तो क्या कोई उनसे नहीं पूछेगा कि आप में कुछ तो कमी होगी जो आप 25% में नहीं शामिल हुए तो आपका रेट यानि आपकी सैलरी कम होगी.
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