अरविंद सिंह/नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में 6 दोषियों को तुरंत रिहा करने के आदेश जारी किए हैं. इन दोषियों में नलिनी, रविचंद्रन, मुरुगन, संथन, जयकुमार, और रॉबर्ट पॉयस का नाम शामिल है. इससे पहले 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पेरारिवलन को रिहा किया था. बाकि दोषियों ने भी पेरारिवलन की रिहाई का हवाला देकर रिहाई की मांग की थी. 


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जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस नागरत्ना की बेंच ने कहा कि तमिलनाडु सरकार ने इन दोषियों की रिहाई की सिफारिश गवर्नर को भेजी थी, लेकिन गवर्नर ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया. पेरारिवलन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि गवर्नर, राज्य सरकार की सिफारिश मानने के लिए बाध्य है. गवर्नर की ओर से दोषियों की रिहाई पर फैसला लेने में गैर वाजिब देरी हुई है. इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 142 के तहत मिली विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा पेरारिवलन का मामले में दिया गया आदेश इन दोषियों के लिए भी लागू होता है, इसलिए इन दोषियों को भी तत्काल रिहाई की जाए.


दोषियों का जेल में व्यवहार अच्छा 
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषी 30 साल से ज्यादा का समय जेल में गुजार चुके है और जेल में उनका व्यवहार अच्छा रहा है. रॉबर्ट पॉयस ने कई बीमारियों से जूझते हुए डिग्री हासिल की, जयकुमार ने भी जेल में पढ़ाई की. संथन ने कई बीमारियों से जूझते हुए आर्टिकल लिखे, जिनके चलते उसे इनाम भी मिला. नलिनी, रविचंद्रन , मुरुगन का भी जेल में व्यवहार अच्छा रहा रहा है. तीस साल से ज्यादा वक्त वो जेल में है और इस बीच उन्होंने पढ़ाई की, साथ ही सभी का व्यवहार अच्छा था.


1991- तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक चुनावी रैली में महिला आत्मघाती हमलावर द्वारा पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या


1991- केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के एक विशेष जांच दल (SIT) को पूरे मामले की जांच सौंपी गई.


1991- सीबीआई ने 19 साल के पेरारिवलन को गिरफ्तार किया, उस पर टाडा के तहत मामला दर्ज किया गया.


1998- टाडा अदालत ने पेरारिवलन समेत 26 आरोपियों को मौत की सजा सुनाई.


1999- सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की सजा बरकरार रखी.


1999- सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया. 


1999- सुप्रीम कोर्ट ने 26 आरोपियों में 19 लोगों को बरी कर दिया.


2000- तमिलनाडु के राज्यपाल ने राज्य सरकार की सिफारिश और कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष और राजीव गांधी की पत्नी सोनिया गांधी की अपील पर नलिनी की मौत की सजा को माफ किया.


2011- पेरारिवलन ने संविधान के अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया


2012- हाई कोर्ट ने मामले को सुप्रीम कोर्ट में ट्रांसफर किया. 


2014- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा 11 साल देरी से दया याचिका पर फैसला करने के आधार पर पेरारिवलन की मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया.


2015- पेरारिवलन ने संविधान के अनुच्छेद 161 के तहत सजा माफ करने के लिए याचिका दायर की.


2018- तमिलनाडु मंत्रिमंडल ने पेरारिवलन की रिहाई की सिफारिश करते हुए एक प्रस्ताव पारित करके राज्यपाल को भेजा. 


2021- तमिलनाडु के राज्यपाल ने अनुच्छेद 161 के तहत पेरारिवलन द्वारा दायर याचिका को राष्ट्रपति के पास भेजा.


2022- सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को इस आधार पर जमानत पर रिहा किया कि उसने 31 साल से अधिक समय जेल में बिताया.


2022- सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया. 


2022- सुप्रीम कोर्ट ने राजीव गांधी हत्याकांड के सभी 6 दोषियों को रिहा किया.