Delhi news: देश की राजधानी दिल्ली के राजपुर खुर्द मैदान गढ़ी में 32 करोड़ की लागत से बने नवनिर्मित अनुसंधान एवं प्रशासनिक भवन का उद्घाटन आज, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा और केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी व दक्षिण दिल्ली से सांसद रमेश बिधूड़ी के द्वारा किया गया. लगभग 32 करोड़ की लागत से बने इस अनुसंधान व प्रशासनिक भवन फसलों में लगने वाले कीटों एवं रोगों के प्रबंधन हेतु और मिट्टी की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए फसल में इस्तेमाल होने वाली चीजों पर वैज्ञानिक इसमें अलग-अलग तरीके से काम करेंगे. ताकि किसानों को आने वाले समय में इनसे छुटकारा मिल सके.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि आज जरूरत है कि अन्नदाताओं के साथ मिलकर संकल्प लेने का. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत का निर्माण करते हुए वर्ष 2047 तक हम गर्व से कह सकेंगे कि हम खाद्यान्न उत्पादन में पूरी तरीके से आत्मनिर्भर है. हमारे यहां विदेश से दलहन तिलहन नहीं आता. उन्होंने कहा कि यह केंद्र फसलों में लगने वाले कीट एवं रोगों के प्रबंधन हेतु इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. आज यह भवन जनता को समर्पित करते हुए कहा कि, आशा करता हूं कि इससे देश में रहने वाले किसानों को और आम जनता को लाभ मिलेगा. 


ये भी पढ़ें: Relationship Tips: छोटी-छोटी बातों पर भड़क उठते है आपके पति, तो इस तरह से करें हैंडल


उन्होंने आशा जताते हुए कहा कि इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट के जरिए ऐसी फसल होगी, जिसमें रोग की गुंजाइश ना रहे. रसायन में पेस्टीसाइड की आवश्यकता भी बहुत कम मात्रा में पड़े. क्योंकि मिट्टी की गुणवत्ता को भी बनाए रखना अत्यंत जरूरी है. यह मिट्टी हमारे जीवन का आधार है .


वहीं मीडिया से बात करते हुए सांसद रमेश बिधूड़ी ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री की दूरदर्शी सोच के चलते आज किसानों का उद्धार हो रहा है. वर्ष 2014 से पहले किसानों के विषय में कोई भी बात नहीं करता था और न ही उनके बारे में कोई सोचता था. पहले कृषि का बजट 25,000 करोड़ हुआ करता था जिसको बढ़ाकर देश के प्रधानमंत्री ने 5 गुना कर दिया है. पहले किसान फसल खराब होने के कारण आत्महत्या कर लेते थे लेकिन, जब से प्रधानमंत्री ने देश का नेतृत्व संभाला है. जब से भाजपा सत्ता में आई है, तब से एक भी किसान ने फसलों के खराब होने और उनका मूल्य न मिल पाने से आत्महत्या नहीं की है.
Input: Mukesh Singh