नई दिल्ली: रेवड़ी कल्चर जैसे फ्री बिजली-पानी, मुफ्त राशन और लैपटॉप जैसी घोषणाओं पर आज यानी मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी है. इस दौरान अदालत ने कहा कि हम लोगों और अर्थव्यवस्था की भलाई के लिए इस मुद्दे को सुन रहे हैं और ये बहुत जरूरी है.  CJI एनवी रमना ने कहा कि रेवड़ी कल्चर पर भाजपा और दूसरी सारी पार्टियां एक साथ हैं. सभी मुफ्त की घोषणाओं के फेवर में हैं. CJI रमना ने कहा कि मानिए मैं ऐलान करता हूं कि अगर मुझे चुना गया तो मैं सभी लोगों को सिंगापुर भेज दूंगा. ऐसे वादे चुनाव के दौरान किए जाते हैं. इलेक्शन कमीशन लोगों को वादा करने से कैसे रोक सकता है.


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सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा...
इस सुनवाई के दौरान CJI रमना ने कपिल सिब्बल से कहा कि सिब्बलजी हमने आपका जवाब पढ़ा. आप अपने पुराने स्टैंड पर लौट आए हैं. इस पर सिब्बल ने जवाब देते हुए कहा कि जी, महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि समझदार व्यक्ति हमेशा अपने स्टैंड में सुधार करता है. ऐसा नहीं है कि मैं खुद को समझदार कह रहा हूं.


CJI रमना ने कहा कि निश्चित तौर पर यह एक अहम मुद्दा है. देखिए अगर कल कोई राज्य एक योजना का ऐलान करता है और हम सभी को इससे फायदा मिल सकता है तो क्या ये कहा जा सकता है कि ये सरकार का विशेषाधिकार है. हम इसमें दखल नहीं दे सकते हैं. इस मामले पर बहस जरूरी है. सोचिए कि केंद्र कानून बनाता है कि राज्य मुफ्त घोषणाएं नहीं कर सकते हैं. क्या हम कह सकते हैं कि ऐसे कानून की समीक्षा ज्यूडिशियल सिस्टम नहीं कर सकता है. हम समाज और अर्थव्यवस्था की भलाई के लिए यह मुद्दा सुन रहे हैं. हम और कुछ नहीं कर रहे हैं. सॉलिसिटर जनरल ने एक कमेटी बनाने का प्रपोजल दिया है और अब ये देखना है कि इस कमेटी की अगुआई कौन करेगा.


इस पर कपिल सिब्बल बोले कि मैं मानता हूं कि यह गंभीर मसला है, लेकिन हमें यह देखना होगा कि इसे कैसे सुलझाया जाता है.


CJI रमना ने कहा कि इस केस में सभी पार्टियां एक ही पाले में हैं. याद रखिए कि भाजपा और दूसरी सभी पार्टियां मुफ्त घोषणाएं चाहती हैं।.


वहीं रेवड़ी कल्चर के खिलाफ याचिकाकर्ता ने कहा कि सभी को सत्ता चाहिए, इसलिए सभी मुफ्त घोषणाओं का ऐलान करते हैं. ये किसी दिन ऐसे मुकाम पर पहुंचेगी कि देश दिवालिया हो जाएगा. इस मामले में सुब्रमण्यम बालाजी का फैसला गलत है और इसे खारिज किया जाना चाहिए.


इस पर CJI रमना ने कहा कि तो आप सभी चाहते हैं कि चुनावी घोषणा पत्र को नियंत्रित किया जाए और ऐसी घोषणाएं को रोका जाए? ये घोषणाएं चुनाव के दौरान होती हैं. इलेक्शन कमीशन कैसे कह सकता है कि यह घोषणाएं मत कीजिए. आप सभी चुनाव के दौरान होने वाली घोषणाओं की बात कर रहे हैं तो फिर बहस भी इसी पर होनी चाहिए. बाकी घोषणाओं पर नहीं.