कबीर जयंती के कार्यक्रम में ही दिखा `बैर`, हरियाणा सरकार ने रोहतक सांसद को ही नहीं भेजा निमंत्रण
बिन बुलाए सांसद डॉ. अरविंद शर्मा को जब मंच पर अपने लिए कुर्सी भी नजर नहीं आई तो प्रेस गैलरी में ही बैठ गए और इसके बाद पूरे कार्यक्रम में उपस्थित रहे. कबीर जयंती पर मुख्यमंत्री और सांसद के बीच 36 का आंकड़ा देखने को मिला.
राज टाकिया/ रोहतक : कबीरा खड़ा बाजार में, मांगे सबकी खैर, ना काहू से दोस्ती न काहू से बैर. कबीरदास के इस दोहे का अर्थ है कि इस दुनिया में आकर कबीर यही चाहते हैं कि सबका भला हो और अगर किसी से दोस्ती न हो तो दुश्मनी भी न हो. कबीर की इस सीख को उनकी जयंती पर ही आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम में शायद भुला दिया गया. कार्यक्रम में भले ही सीएम मनोहर लाल ने हरियाणा सरकार द्वारा कबीर की सीख पर चलने की बात कही पर प्रेस गैलरी का एक दृश्य कुछ अजीब ही नजर आया, जहां रोहतक के सांसद डॉ. अरविंद शर्मा बैठे दिखे.
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दरअसल कुछ समय से रोहतक के सांसद डॉ. अरविंद शर्मा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. दोनों के बीच तलवारें खिंचने से बीजेपी में अंतर्कलह खुलकर सामने आने लगी है. कबीर जयंती पर दोनों के बीच 36 का आंकड़ा देखने को मिला.
दरअसल कुछ समय से रोहतक के सांसद डॉ. अरविंद शर्मा और मुख्यमंत्री मनोहर लाल के रिश्ते कुछ ठीक नहीं चल रहे हैं. दोनों के बीच तलवारें खिंचने से बीजेपी में अंतर्कलह खुलकर सामने आने लगी है. नाराजगी का आलम ऐसा है कि कुछ समय पहले सांसद ने मुख्यमंत्री पर खुलकर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर यह तक कह डाला था कि सीएम अपने दिमाग से काम नहीं करते हैं.
सीएम ने सांसद का नाम तक नहीं लिया
शायद यही वजह रही कि रविवार को रोहतक में आयोजित सरकारी कार्यक्रम में पार्टी के सांसद को ही निमंत्रण नहीं दिया गया. सांसद के लिए न तो मंच पर कुर्सी लगाई गई और न ही सीएम ने अपने संबोधन के दौरान एक बार भी सांसद का नाम नहीं लिया. बिना निमंत्रण के कार्यक्रम में पहुंचे सांसद डॉ. अरविंद शर्मा ने कार्यक्रम की गरिमा को देखते हुए प्रेस गैलरी में बैठकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई.
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कार्यक्रम के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए सांसद अरविंद शर्मा ने कहा कि यह सही है कि उन्हें इस कार्यक्रम के लिए सरकार की तरफ से कोई निमंत्रण नहीं मिला था, जबकि कार्यक्रम उनके संसदीय क्षेत्र में था. फिर भी कार्यक्रम की गरिमा को देखते हुए वह बिना निमंत्रण के यहां पहुंचे हैं.
उन्होंने कहा कि संतों की जयंती समारोह में किसी निमंत्रण की आवश्यकता नहीं होती. उनका पूरा परिवार कबीरपंथी है और वह इन्हीं संस्कारों में बढ़े पले हैं. जब उन्होंने देखा कि मंच पर उनके नाम की कुर्सी नहीं लगी है तो वह प्रेस गैलरी में बैठ गए और पूरा कार्यक्रम देखा.
सांसद बोले-घमंड सदा किसी का भी नहीं चलता
पत्रकारों ने जब पूछा कि क्या आपने मुख्यमंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं और यह उसी का नतीजा है तो सांसद ने कहा कि लोगों के सरोकार से जुड़े मुद्दे और समाज की बात उठाना अगर गुनाह है तो वह ऐसा गुनाह हजार बार करते रहेंगे. उन्होंने कहा कि इज्जत मांगने से नहीं मिलती, हमेशा दिल से दी जाती है. तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि इस घटनाक्रम से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मुख्यमंत्री में कितना बड़प्पन है. उन्होंने इशारों-इशारों में मुख्यमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि घमंड सदा किसी का भी नहीं चलता.मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से इस विषय पर कोई बात नहीं की.