Rohtak News: राष्ट्रपति से लेकर अनेक निर्वाचित जनप्रतिनिधि बड़े चाव से गांव को गोद लेते हैं. ताम-झाम के साथ घोषणा भी करते हैं, लेकिन आदर्श ग्राम योजना के तहत जनप्रतिनिधि गांवों को गोद लेकर भूल से गए हैं. ‘माननीयों’ के गोद लिए गांव कहां तक और कितने ‘आदर्श’ हैं? उनकी हकीकत पर ग्राउंड रिपोर्ट से आपको रूबरू करवाते हैं.


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हरियाणा के सैकड़ों गांवों को अपने ‘पालनहारों’ का इंतजार है. पालनहार आएंगे, योजना को आगे बढ़ाएंगे तो इन गांवों के दिन बहुरेंगे. असल में इन गांवों को सांसद और विधायक आदर्श ग्राम योजना के तहत ‘आदर्श’ बनना था. अब चूंकि फंड का प्रबंध हरियाणा सरकार को करना है तो देश की सबसे बड़ी ‘पंचायत’ यानी संसद के ‘बड़े पंचों’ को मशक्कत भी उतनी ही करनी पड़ती है.


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इस तरह की स्थिति विधायकों के सामने भी है. प्रदेश के लोकसभा व राज्यसभा सांसदों द्वारा कुल 39 गांवों को अभी तक गोद लिया गया. ग्राउंड रियलटी यह है कि कई गांवों का तो अभी तक विलेज डेवलेपमेंट प्लान ही नहीं बन पाया है. कई सांसद ऐसे हैं, जिन्होंने गांव गोद लेने की महज औपचारिकता ही की है. रोहतक जिले के सागाहेड़ा गांव को सांसद अरविंद शर्मा ने गोद जरूर लिया, लेकिन फिर उस गांव की सुध लेने का समय ही नही है. सांसद मोहदय के पास देखिए ये तस्वीर 


केंद्र की मोदी सरकार ने जिस प्लानिंग के तहत इस योजना को शुरू किया था. वह अभी तक सिरे नहीं चढ़ी है. गोद लिए हुए गांव न तो आदर्श बने हैं और न ही लोगों की मुश्किलें कम हुई हैं. दरअसल, ग्रामीणों का कहना है कि यहां गांव तो गोद ले लिया, लेकिन कोई विकास कार्य ही नहीं हुआ न ही सांसद सहाब यहां आएं. गौरतलब है कि  परियोजना की कल्पना के मुताबिक प्रदेश में एक भी गांव नहीं बन पाया है.


Input: Raj Takiya