स्पाइसजेट के MD पर धोखाधड़ी का केस दर्ज, 10 लाख शेयर के लिए जारी कर दी नकली DIS
स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह पर 10 लाख शेयरों की एक नकली डिपॉजिटरी निर्देश पर्ची (DIS) देने का आरोप है. इस पर शिकायतकर्ता अमित अरोड़ा ने बताया कि उनकी कंपनी पर वित्तीय संकट था.
गुरुग्राम: स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह और अन्य के खिलाफ फर्जी शेयर प्रमाणपत्र देकर गुरुग्राम निवासी को कथित तौर पर ठगने का मामला दर्ज किया गया है. शिकायतकर्ता अमित अरोड़ा ने पुलिस शिकायत में कहा है कि अजय सिंह ने उन्हें प्रदान की गई सेवाओं के लिए 10 लाख शेयरों की एक नकली डिपॉजिटरी निर्देश पर्ची (DIS) दी थी. घटना के बारे में 7 जुलाई को सुशांत लोक पुलिस स्टेशन में धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के तहत मामला दर्ज किया था. शिकायतकर्ता हवाईअड्डा खुदरा और आतिथ्य सेवाओं सहित गैर-वैमानिकी सेवाएं प्रदान करने के व्यवसाय में है.
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अरोड़ा ने पुलिस को बताया कि 2015 में स्पाइसजेट के पूर्व प्रमोटरों कलानिधि मारन और काल एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड ने आरोपी अजय सिंह के साथ एक शेयर बिक्री और खरीद समझौता किया. इसमें उनकी पूरी हिस्सेदारी उसे हस्तांतरित कर दी गई. अरोड़ा ने पुलिस को बताया कि अजय ने मुझे कंपनी को संभालने के लिए कहा, क्योंकि यह विभिन्न तेल कंपनियों के साथ ईंधन शुल्क, लंबित वैधानिक बकाया, हवाई बेड़े के पार्किंग शुल्क, वेतन और अन्य भुगतान के मामले में गंभीर वित्तीय संकट में घिरा था. कंपनी को एक पूर्ण ओवरहॉल और वित्तीय पुनर्गठन की जरूरत थी.
अमित अरोड़ा ने बताया कि अजय ने 10 लाख शेयर हस्तांतरित करने का वादा किया था. इसके बाद शिकायतकर्ता ने ईमानदारी से काम किया और अपनी सेवाएं दी. अक्टूबर 2016 में शिकायतकर्ता ने सिंह से अपने वादे के अनुसार शेयरों को स्थानांतरित करने का अनुरोध किया. सिंह ने शेयरों को स्थानांतरित करने के बजाय एक डीआईएस प्रदान किया. सिंह ने अपने डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट, ग्लोबल कैपिटल मार्केट्स लिमिटेड के पास ऐसी पर्ची जमा करने का प्रतिनिधित्व किया. इसके बाद शिकायतकर्ता के प्रतिनिधि जब पर्ची जमा कराने गए तो बताया गया कि यह अवैध और पुरानी है.
इसके बाद शिकायतकर्ता ने कई बार आरोपी से संपर्क किया और नए डिपॉजिटरी इंस्ट्रक्शन स्लिप लेने के लिए व्यक्तिगत मुलाकात की मांग की. शिकायतकर्ता ने कहा कि अजय सिंह ने किसी न किसी बहाने नियुक्ति से इनकार कर दिया. उन्होंने आगे आश्वासन दिया कि शिकायतकर्ता को चिंतित नहीं होना चाहिए और जल्द ही वह नए डिपॉजिटरी निर्देश प्रदान करेंगे. अजय ने अमित से बोला कि स्टैंड में अचानक कोई परेशानी आ गई थी, जिस कारण ये पर्चियां अवैध हो गई. साल 2017 के दौरान अजय सिंह ने शिकायतकर्ता से मिलने से इनकार कर दिया.
इस दौरान अरोड़ा को सिंह के खिलाफ धोखाधड़ी के दूसरे मामले का पता चला. दोनों के बीच समानता का पता लगाने के बाद शिकायतकर्ता ने अजय के खिलाफ आरोपों की जांच की और पाया कि यह उनके मामले जैसा ही था. शिकायतकर्ता ने पुलिस को बताया कि उसने अजय सिंह और स्पाइसजेट के पूर्व प्रमोटरों के बीच कथित रूप से लंबित मध्यस्थता कार्रवाई की जांच की.
शिकायतकर्ता को आगे बताया गया है कि पूर्ववर्ती प्रमोटरों ने उक्त मध्यस्थ निर्णय के खिलाफ अपील दायर की थी, जो वर्तमान में दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। इस तरह के निर्णय या शेयरों के हस्तांतरण पर कोई प्रतिबंध नहीं है. आरोपी ने शिकायतकर्ता को गलत तरीके से पेश किया है. आरोपी ने अवैध पर्ची देकर शिकायतकर्ता को धोखा दिया. उसने शिकायतकर्ता को उसके और पूर्ववर्ती प्रमोटरों के बीच लंबित मध्यस्थता कार्रवाई के बारे में भी गुमराह किया.
अरोड़ा ने पुलिस को बताया कि अजय ने अन्य लोगों को ठगने के लिए लगभग समान तरीके का इस्तेमाल किया और उन लेनदेन के संबंध में दिल्ली के पुलिस स्टेशन ग्रेटर कैलाश, हौज खास और राजेंद्र नगर में आरोपी के खिलाफ पहले से ही अलग-अलग एफआईआर (FIR) दर्ज हैं. शिकायत में पुलिस से आग्रह किया है कि उसके साथ धोखाधड़ी की गई है और आरोपी अजय सिंह की कार्रवाई से गलत तरीके से नुकसान हुआ है. धोखाधड़ी का तरीका और इस प्रक्रिया में अन्य अपराधियों की पहचान के लिए एक विशेष एजेंसी द्वारा लगातार जांच की जरूरत होती है.
सुशांत लोक पुलिस स्टेशन के एसएचओ पूनम हुड्डा ने आईएएनएस को बताया कि शिकायतकर्ता को दी गईं सेवाओं के लिए 10 लाख शेयरों के नकली डीआईएस देने से संबंधित धोखाधड़ी का मामला स्पाइसजेट के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक अजय सिंह और अन्य के खिलाफ दर्ज किया गया है. हम मामले से संबंधित सभी संबंधित दस्तावेजों की जांच कर रहे हैं, जलद ही उचित कार्रवाई की जाएगी.
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