आरती राय/ नई दिल्ली : टोमैटो कैचप खाने के शौकीनों के लिए एक बुरी खबर है. एक नए अध्ययन के अनुसार तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन आने वाले वर्षों में टमाटर की वैश्विक फसल को तेजी से प्रभावित करेगा, जिससे दुनियाभर के कई घरों और रेस्तरां में केचप की आपूर्ति काफी हद तक प्रभवित होगी. नई  स्टडी के अनुसार कैचप लाल, मीठे, रसीले और पके टमाटरों से बनता है, जो बढ़ते तापमान के कारण खतरे में हैं.


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डेनमार्क में आरहूस विश्वविद्यालय के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की टीम ने एक मैथमेटिकल मॉडल बनाया है. अध्ययन में बताया गया है कि तेजी से बढ़ता तापमान टमाटर के उत्पादन को कैसे प्रभावित करेगा. स्टडी के अनुसार इटली, चीन और कैलिफोर्निया दुनिया के सबसे बड़े टमाटर उत्पादक देश हैं, जो ग्लोबली दो तिहाई टमाटर के सप्लायर हैं और इन सभी को ग्लोबल वार्मिंग से खतरा है .


2050 तक आधी रह जाएगी दुनियाभर में टमाटर की फसल 
मैथमेटिकल मॉडल के अनुसार आने वाले वर्षों में जिस तरह से तापमान बढ़ रहा है .उतनी ही तेजी से इसका असर टमाटर की फसल पर भी पड़ेगा. ये स्थिति 2021 से शुरू हो चुकी है. शोधकर्ताओं के मुताबिक सबसे खराब स्थिति 2050 में देखने को मिलेगी, जब दुनियाभर में टमाटर की फसल आधी हो जाएगी.


शोध के मुताबिक 2050 तक टमाटर के उत्पादन में 6 % की गिरावट आएगी. सबसे खराब स्थिति में टमाटर उत्पादक क्षेत्रों में 2040 और 2069 के बीच लगभग 2.6 डिग्री सेल्सियस और अगले 30 वर्षों के लिए 5 डिग्री सेल्सियस के तापमान में वृद्धि शामिल होगी.


क्लाइमेट चेंज के कारण कृषि उत्पादन की कीमत बढ़ी  
नए अध्ययन के अनुसार वायुमंडल में CO2 का कंस्ट्रक्शन हो सकता है, लेकिन ये ज्यादा प्रभवित नहीं करेगा. बढ़ते तापमान का हमारे जनजीवन से लेकर खान पान और खेती पर बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ेगा. कैचप बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले टमाटर की प्रोसेसिंग ग्लोबली 11 सबसे बड़े उत्पादकों में मौजूदा 14 मिलियन टन से घटकर सात मिलियन टन से कम हो जाएगी.


इसकी वजह से आने वाले समय में लगभग हर साल कृषि उत्पादन की कीमत बढ़ती जाएगी और सस्ते दामों में मिलने वाली तीखी चटपटी कैचप से लेकर सभी प्रोडक्ट्स की कीमतों पर इसका भारी असर पड़ेगा.


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तापमान से बदल सकती है पौधों की फीनोलॉजी 
तापमान का फसलों की वृद्धि और विकास पर सीधा प्रभाव पड़ता है. यह पौधों की फीनोलॉजी को महत्वपूर्ण रूप से बदल सकता है. टमाटर सहित कई फसलों के लिए जलवायु परिवर्तन के तहत इटली में कृषि संबंधी अनुकूलन रणनीतियों का अध्ययन किया और पाया कि गर्म तापमान के कारण टमाटर की फीनोलॉजी 2050 तक बदल सकती है और टमाटर की पैदावार को कम कर सकती है.


पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा गया था कि मार्च और अप्रैल में भारत और पाकिस्तान को झुलसा देने वाली गर्मी की वजह से जलवायु परिवर्तन की संभावना 30 गुना बढ़ गई हैं.


 


कैसे बचा सकते हैं टमाटर के प्रोडक्शन को कम होने से 
सूखे की अवधि के दौरान टमाटर उत्पादकों को सीमित जल आपूर्ति के तहत प्रबंधन रणनीतियों को लागू क रने की आवश्यकता हो सकती है .General Data Dissemination System (GDDs) की बेहतर समझ के अनुसार वाटर कंज़र्वेशन का सही तरीका किसानों की मदद कर सकता है. वहीं मिटटी की प्रतिरोधक और उर्वरक क्षमता बढ़ाने के तरीके और काम समय में उगने वाले हाइब्रिड सीड्स की मदद से फसल और उत्पादन को बढ़ाने में मदद मिल सकती है .