Unnao Rape Case Update: कहते हैं कि समय सबसे बलवान होता है.देश की सबसे पुरानी पार्टी ने 2002 से लेकर 2017 तक चार बार यूपी विधानसभा पहुंचे नेताजी ने ताकत और सत्ता के नशे में एक नाबालिग लड़की की इज्जत को रौंदा, फिर परिवार संग उसे मारने की कोशिश की गई. जब मन नहीं भरा तो आर्म्स एक्ट में लड़की के पिता को ले लिया गया, जहां पुलिस की पिटाई से उसकी मौत हो गई. ये समय का ही फेर हैं कि कभी पुलिस और राजनीतिक दलों में रसूख वाले नेताजी अब जेल से अपनी रिहाई के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से गुहार लगा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं उन्नाव की बांगरमऊ सीट से बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर की, जिसने मेडिकल इमरजेंसी का हवाला देकर सजा को निलंबित करने की गुहार लगाई है. दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को सेंगर की याचिका पर सीबीआई से जवाब मांगा है. हाईकोर्ट ने जेल अधिकारियों से सेंगर की चिकित्सा स्थिति पर एक रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा. याचिका पर अगली सुनवाई 13 जनवरी को होगी. 


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10 साल की सजा काट रहा है कुलदीप सेंगर 
दरअसल लड़की से बलात्कार और हिरासत में उसके पिता की मौत मामले में ट्रायल कोर्ट ने 13 मार्च 2020 को कुलदीप सेंगर को 10 साल के कठोर कारावास और 10 लाख जुर्माने की सजा सुनाई दी. सेंगर पिछले कई साल से जेल में बंद है. उसके वकील ने दिल्ली हाईकोर्ट में तर्क रखा है उनके मुवक्किल की स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ रही है और यह एक मेडिकल इमरजेंसी है. सेंगर ने कहा कि उनकी अपील ट्रायल कोर्ट के फैसले के खिलाफ है, जो काफी समय से लंबित है. जस्टिस मनोज कुमार ओहरी ने कहा, नोटिस जारी करना केवल चिकित्सा आधार तक ही सीमित है. इस साल जून में सीबीआई ने जानकारी दी थी कि हाईकोर्ट ने कुलदीप सेंगर की सजा को निलंबित करने की याचिका को सुनने से इनकार कर दिया था. 


एक नजर डालते हैं नेताजी के गुनाह पर 
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 13 अप्रैल 2018 में तत्कालीन बीजेपी विधायक कुलदीप सेंगर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया था. उन पर आरोप था कि उन्होंने 4 जून 2017 को उनके पास जॉब मांगने आई 16 साल की लड़की का रेप किया. केस दर्ज होने के बाद सेंगर की शह पर पुलिस ने रेप पीड़ित लड़की के पिता को आर्म्स एक्ट के मामले में हिरासत में ले लिया, जहां पुलिस की पिटाई के बाद 9 अप्रैल 2018 को उसकी मौत हो गई. जुल्म की इंतेहा और ताकत का नशा अब भी खत्म नहीं हुआ था. 28 जुलाई 2019 को एक ट्रक ने उस कार को रौंद डाला, जिससे रेप विक्टिम, उसका वकील और दो आंटी जा रही थीं. इस हादसे में दो महिलाओं की मौत हो गई, लेकिन रेप विक्टिम लड़की और वकील गंभीर रूप से घायल हो गए. इस मामले में पुलिस ने कुलदीप सेंगर, उसके भाई समेत 10 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया. इस मामले पर लोगों की नाराजगी और राजनीतिक दलों के दबाब में आकर बीजेपी ने अगस्त 2019 को कुलदीप सेंगर को पार्टी से निष्कासित कर दिया था. 


2020 में ट्रायल कोर्ट ने सुनाई सजा 
1 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर मामला उत्तर प्रदेश की ट्रायल कोर्ट से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया गया. 13 मार्च 2020 को ट्रायल कोर्ट ने हिरासत में मौत मामले में कुलदीप सेंगर को 10 साल की सजा सुनाई. कोर्ट ने कहा कि परिवार के एक मात्र कमाने वाले शख्स की हत्या के लिए कोई नरमी नहीं बरती जा सकती. गैर इरादतन हत्या के इस मामले में कोर्ट ने सेंगर के भाई और पांच अन्य लोगों को भी 10 साल की सजा सुनाई. तब से कुलदीप सेंगर जेल से अपनी रिहाई के लिए छटपटा रहा है. 


कुलदीप सेंगर का राजनीतिक सफर 
1990 के दशक में कुलदीप सेंगर ने कांग्रेस ज्वाइन कर राजनीतिक सफर शुरू किया था. बाद में वह बसपा में शामिल हो गए. बीएसपी की टिकट पर उन्होंने उन्नाव से पहला विधानसभा चुनाव जीता. बाद में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए बसपा ने उन्हें निष्कासित कर दिया. इसके बाद कुलदीप ने सपा की टिकट पर 2007 में बांगरमऊ और 2012 में भगवंत नगर सीट से विधानसभा चुनाव जीता. 2015 में जब कुलदीप की पत्नी संगीता जिला पंचायत चुनाव में सपा प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय खड़ी हो गईं तो सपा को इसमें कुलदीप की बगावत नजर आई. ये चुनाव संगीता जीत गई थीं. इसके बाद कुलदीप ने बीजेपी का दामन थामा और 2017 में अपने चुनावी करियर की सबसे बड़ी जीत दर्ज की. बांगरमऊ सीट पर उसे 43% वोट मिले और यही वो साल था, जब कुलदीप की उल्टी गिनती शुरू हो गई. 


इनपुट: पीटीआई


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