Uttarkashi Rescue: सिल्क्यारा टनल में अब मैनुअल और वर्टिकल ड्रिलिंग से होगा रेस्क्यू, लेकिन अब भी इस बात का खतरा
Uttarakhand Tunnel Rescue: शुक्रवार को ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन का हिस्सा फंसने की वजह से मशीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. ऐसे में अब टनल में मैनुअल ड्रिलिंग, यानी हाथ से खुदाई की जाएगी, जिसमें लंबा समय लग सकता है.
Uttarakhand Tunnel Rescue: उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में पिछले 14 दिनों से फंसे मजदूरों को निकालने की कोशिश लगातार जारी है, लेकिन अब तक इसमें सफलता नहीं मिल सकी है. टनल में ड्रिलिंग के दौरान हर बार अलग-अलग तरह की बाधाएं सामने आ रही हैं. शुक्रवार को ड्रिलिंग के दौरान ऑगर मशीन का हिस्सा फंसने की वजह से मशीन पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई है. ऐसे में अब ड्रिलिंग के दूसरे तरीको को अपनाया जाएगा. मिली जानकारी के अनुसार, अब टनल में मैनुअल ड्रिलिंग, यानी हाथ से खुदाई की जाएगी, जिसमें लंबा समय लग सकता है.
दो तरफ से शुरू होगी ड्रिलिंग
मजदूरों को बचाने के लिए अब प्लान A और प्लान B दोनों पर काम किया जा सकता है. प्लान A के तहत पाइप के अंदर मैनुअल ड्रिलिंग की जाएगी, जिसके लिए दिल्ली से टीम आई है. वहीं प्लान B के तहत वर्टिकल ड्रिलिंग की जाएगी. एसजेवीएन और ओएनजीसी की टीमें सिल्कयारा सुरंग के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग करेंगी, जिसके लिए सामान जुटाया जा रहा है. हालांकि, ये तरीका बेहद खरतनाक हो सकता है. नीचे मजदूर फंसे हैं, ऊपर से ड्रिलिंग करने पर मलबा गिर सकता है.
ये भी पढ़ें- PM मोदी ने तेजस फाइटर प्लेन में भरी उड़ान, सोशल मीडिया पर तस्वीरों के साथ शेयर किया अनुभव
CM धामी पहुंचे उत्तरकाशी
उत्तराखंड के सीएम पुष्कर धामी उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल पर चल रहे बचाव कार्य पर नजर बनाए हुए हैं. आज एक बार फिर CM सुरंग में चल रहे बचाव अभियान का जायजा लेने के लिए उत्तरकाशी पहुंचे. वहीं PM मोदी भी लगातार इस पूरे मामले में नजर बनाए हुए हैं. CM धामी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर इस बात की जानकारी दी. साथ ही जल्द से जल्द सभी मजदूरों को सकुशल निकालने का दावा भी किया है.
टनल के अंदर बिगड़ रही मजदूरों की तबियत
टनल के अंदर पिछले 14 दिनों से बाहर निकलने का इंतजार कर रहे मजदूरों की तबियत भी बिगड़ने लगी है. मिली जानकारी के अनुसार, आज 3 मजदूरों को सिरदर्द, उल्टी और सीने में दर्द जैसी परेशानी हो रही हैं, जिसके बाद पाइप के जरिए मजदूरों को दवा भेजी गई.