Delhi News: यमुना की बिगड़ती हालात से सब ही वाकिफ हैं. गंदे नाले में तबदील हुआ यमुना के पानी (Yamuna Water) से तेज बदबू आती है. इस कारण वहां के इलाकों में रहने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. इसी के साथ ही वहां से गुजरने वाले लोगों को भी दुर्गध आती है. इससे अब बहुत जल्दी दिल्ली और एनसीआर में रहने वाले लोगों को छुटकारा मिलने वाला है. जिससे कि आने वाले सालों में दिल्ली की हवा पहाड़ी इलाकों जैसी ताजा होने की आशंका जताई जा रही है. 



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यमुना किनारे 300 चेरी ब्लॉसम और चिनार के पौधे रोपे गए
दरअसल, दिल्ली के एलजी वीके सक्सेना ने एक अनूठी पहल की शुरुआत करते हुए पहाड़ी इलाकों में उगाए जाने वाले पेड़-पौधों यमुना किनारे रोपे गए है. दिल्ली के यमुना किनारे 300 चेरी ब्लॉसम और चिनार के पौधे लगाएं गए हैं. बता दें कि एलजी ने रविवार यानी 7 मई को इस पहल की शुरुआत की. जहां दिल्ली को फूलों का शहर और स्वच्छ हवा देने के लिए इन्होंने पौधों को रोपा. इन पौधों को कुदसिया घाट से लेकर आईटीओ बैराज यमुना के तीन द्वीपों पर लगाया गया है. 


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चेरी ब्लॉसम और चिनार के अलावा 1400 पौधे लगे
एली ऑफिस के अनुसार यमुना के किनारे चेरी ब्लॉसम और चिनार के अलावा यहां 1400 कचनार, वीपिंग क्लिो, सेमल, बॉटलर ब्रश, बोगनवेलिया, और कनेर के भी हजारों पौधे लगाए गए हैं.


पेड़-पौधों की रक्षा के लिए कई विभागों को दिए आदेश
रविवार को एलजी ने अधिकारियों को यमुना किनारें किसी भी तरह का अतिक्रमण न होने के निर्देश दिए. साथ ही पेड़-पौधों की रक्षा के लिए वन विभाग समेत टेरिटोरियल आर्मी को भी आदेश दिए गए हैं. सफाई में किसी तरह की कमी न होने के निर्देश दिए हैं.  


पहाड़ी पौधों को दिल्ली में लगाने से हवा होगी साफ
यमुना किनारे लगाए जाने वाले फूल के पौधे चेरी ब्लॉसम के सफेद फूल पहाड़ी इलाकों जैसे शिमला, शिलांग, बेंगलुरु और जम्मू कश्मीर में पाए जाते हैं. चेरी ब्लॉसम एक जापानी पौधा है जो भारत के कई पहाड़ी इलाकों में पाया जाता है. वहीं चिनार भी पहाड़ी पेड़ है जो ठंडे इलाकों में पाया जाता है. वहीं ये अपने खास आकार और रंग के लिए जाना जाता है. चिनार की खास बात ये है कि और पेड़ों के मुकाबले इसमें से सालभर में 300 से 400 किलो पत्तियां निकलती है.