कुलवंत सिंह/यमुनानगर: यमुनानगर के गांव गुमथला राव में एक ऐसा मंदिर जहां पर देवी देवताओं की पूजा की बजाय वहां पर लोग शहीदों की पूजा करते हैं. यह देश का इकलौता मंदिर है, जो शहीदों के नाम से बनाया गया है. इसको लेकर यहां के आसपास के लोग तो आकर इन शहीदों को पुष्प अर्पित कर नमन करते हैं तो वहीं दूरदराज से आने जाने वाले लोग भी इस मंदिर में शहीदों के आगे नतमस्तक होते हैं.


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वीर सेना और शहादत देने वाले हमारे शहीद जवान हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहते हैं. हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि देशवासियों को रोशनी देने के लिए हमारे जवान रातें चौकसी में बिताते हैं. वे अपने घर परिवार को छोड़कर हजारों मील दूर सीमा पर तैनात होकर देश की सुरक्षा में लगे हैं. हमें सुकून भरी नींद देने के लिए खुद पलक तक नहीं झपकाते. तमाम रातें जागकर हमें राहत की सांसें भरने की उम्मीद देते हैं. हमारी देश की सीमा के ये सुरक्षा प्रहरी असल मायनों में हमारे परिवार के अंग हैं. ऐसे ही वीरों का देश का एक इकलौता इंकलाब शाहिद मंदिर यमुनानगर के गांव राव गुमला में स्थित है, जो इन वीर बलिदानियों की गाथा सुनाता है.


इंकलाब मंदिर के संस्थापक एडवोकेट वरयाम सिंह ने कहा कि आज के ही दिन 1931 में वीर शहीद भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव ने देश की आजदी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. वहीं उन्होंने कहा कि बड़ी विडंबना की बात है कि जिन वीर शहीदों व वीरंगनाओ ने निस्वार्थ देश की आजदी के लिए अपना बलिदान दिया था. आज देश में उन्हें संवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा नहीं दिया गया है. उन्होंने केंद्र सरकार से मांग करते हुए कहा कि वीर शहीदों व वीरांगनाओं को संवैधानिक रूप से शहीद का दर्जा दिया जाए, यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है. 


वहीं इस देश के इकलौते मंदिर में सभी वीर शहीदों की प्रतिमाएं और चित्र दिखाई देंगे. इसको देखकर एक बार तो व्यक्ति अपने होशो हवास खोकर क्षुब्ध रह जाता है. इस मंदिर में हर रोज, जहां शहीदों की पूजा की जाती है, वहीं पर आज शहीदी दिवस पर भी आसपास के युवाओं ने ईकट्ठा होकर इन वीरों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए नमन किया.