Delhi NCR Pollution Update: देश का सबसे बड़ा महापर्व दिवाली आई और चली गई. इसके साथ ही दिवाली पर प्रदूषण के नाम पर मचाई जा रही हाय-तौबा की असलियत भी बाहर आई है. पलूशन पर एकतरफा ज्ञान दे रहे 'सेक्युलरवादियों' के खिलाफ गुस्से से भरे लोगों ने दिल्ली एनसीआर में जमकर पटाखे फोड़े. इस झमाझम आतिशबाजी के बावजूद पिछले साल की तुलना में इस बार एयर क्वालिटी इंडेक्स तीन गुणा बढ़िया रहा. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

आतिशबाजी के बावजूद साफ रही हवा


रिपोर्ट के मुताबिक दिवाली में इस बार पटाखों और आतिशबाजी के बाद भी दिल्ली की आबोहवा साफ दिखी. धीरे- धीरे चल रही हवा की वजह से दिल्ली की शान अक्षरधाम मंदिर दूर से ही नजर आ रहा था. आज दिन में आसमान भी लगभग साफ रहा और धूप भी खिली दिखी. जिसने जिसने धूल के बारीक कणों को जमने नहीं दिया और उन्हें उड़ा डाला. इसके चलते इस बार प्रदूषण का खास असर नजर नहीं आया. 


सिर्फ दिवाली विरोध... फर्क साफ़ है !


वर्ष 2023 दिवाली पर प्रदूषण का हाल


दिल्ली-NCR 


AQI-999


विजिबिलिटी - 100 मीटर से कम


(8 साल का रिकॉर्ड टूटा)


वर्ष 2024 में दिवाली पर प्रदूषण


दिल्ली-NCR


AQI-344


विज़िबिलिटी-  बिल्कुल साफ


(दिवाली के बाद भी कम प्रदूषण)


दिवाली 2024 से एक दिन पहले


शहर            AQI


दिल्ली         361


मुंबई           94


कोलकाता   70


बेंगलुरु 235


दिवाली 2024 के अगले दिन


शहर             AQI


दिल्ली            344


मुंबई              173


कोलकाता       110


बेंगलुरु           138


सेलेब्रेटीज ने आतिशबाजी पर दी थी नसीहत


बताते चलें कि इस बार राजपाल यादव, अमीषा पटेल समेत कई सेलेब्रेटीज ने सोशल मीडिया पर वीडियो जारी कर आतिशबाजी से दूर रहने कई अपील की थी. कई हस्तियों ने तो यह तक कहा था कि पटाखे जलाने से मासूम जानवरों को बड़ा नुकसान होता है और वे रात में सो नहीं पाते. उनकी बिन मांगे दी दी गई इस नसीहत से लोग भड़के हुए थे. 


बिन मांगे सलाह से भड़क गए लोग और...


लोगों का कहना था कि जब क्रिसमस डे या न्यू ईयर पर दुनियाभर में आतिशबाजी होती है, तब इस तरह की नसीहत क्यों नहीं दी जाती. बकरीद के मौके पर लाखों जानवरों की हत्या होने पर उन सेक्युलरवादियों की जुबान क्यों नहीं खुलती. यही वजह है कि इस बार लोगों ने गुस्से में अपना प्रतिकार करते हुए जमकर पटाखे जलाए. इसके बाद भी प्रदूषण का स्तर पिछले साल की तुलना में बहुत कम रहा.