Delhi Odd Even: ऑड-ईवन से पहली बार केवल 2-3% प्रदूषण में आई कमी, कितनी प्रभावी है ये रणनीति?
Odd Even in Delhi: आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने एक रिसर्च में पाया था कि जब जनवरी 2016 में पहली बार ऑड-ईवन नियम लागू किया गया था, तब वायु प्रदूषण में केवल दो से तीन प्रतिशत की कमी आई थी.
Delhi Pollution Odd Even: दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का तांडव पूरे चरम पर है. प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. इस वजह से आसमान में धुंध छाया हुआ है. लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और आंखों में जलन की शिकायत है. इस बीच प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन लगाने का फैसला किया है. दिल्ली में 4 साल बाद ऑड-ईवन की वापसी हुई है, लेकिन इस पर सवाल उठने लगा है कि यह कितना प्रभावी होगा. बता दें कि इस नियम को पहली बार 2016 में लागू किया गया था.
13 से 20 नवंबर तक ऑड-ईवन
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को बताया कि कि वायु प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए 13 से 20 नवंबर तक ऑड-ईवन नियम लागू होगा. इस योजना के तहत ऑड या ईवन रजिस्ट्रेशन संख्या वाली कारों को वैकल्पिक दिनों (एक दिन छोड़कर एक दिन) पर चलाने की अनुमति दी जाती है. यानी ऑड डे पर ऑड नंबर की कार और ईवन डे पर ईवन डे वाली कार चला सकते हैं. अगले सप्ताह जब इसे लागू किया जाएगा तो यह चौथी बार होगा, जब दिल्ली सरकार वाहनों से होने वाले प्रदूषण से निपटने के लिए यह योजना लागू करेगी.
ऑड-ईवन के नियम
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने इस नियम को 2016 में पहली बार जनवरी में लागू किया था और फिर उसके बाद इसे उसी वर्ष अप्रैल में लागू किया गया. इस योजना के तहत आपातकालीन और पुलिस वाहनों, दोपहिया वाहनों, महिलाओं द्वारा चलाई जाने वाली कारों को छूट दी गई थी. वर्ष 2019 में जब यह योजना नवंबर में लागू की गई थी, तो चिकित्सा आपातकालीन वाहनों और वर्दी में स्कूली बच्चों को ले जाने वाले वाहनों के साथ-साथ दोपहिया और इलेक्ट्रिक वाहनों को छूट दी गई थी. इसके अलावा इसमें अति विशिष्ट लोगों, केवल महिलाओं और दिव्यांग व्यक्तियों को ले जाने वाले वाहनों को भी छूट दी गई.
क्या ऑड-ईवन से कम होगा प्रदूषण?
पर्यावरण के जानकारों का कहना है कि ऑड-ईवन नियम को लागू करने से प्रदूषण से निपटने में दीर्घकालिक स्तर पर लाभ नहीं मिलेगा. यह बढ़ते प्रदूषण से केवल कुछ दिनों की राहत दिलाएगी. पर्यावरणविद ज्योति पांडे लवकरे ने कहा, 'हम इस जहरीली हवा में मर रहे हैं. पूरे साल प्रदूषण का स्तर ऊंचा रहता है, लेकिन दिल्ली में हमने खराब वायु गुणवत्ता को सामान्य बना दिया है. उसका राजनीतिकरण कर दिया है.' उन्होंने कहा, 'जब आपके पास पर्याप्त सार्वजनिक परिवहन बस ही नहीं हैं तो आप इस योजना को कैसे लागू करेंगे. हमें कम से कम 15,000 से 20,000 इलेक्ट्रिक बस की जरूरत है, लेकिन हमारे पास कम हैं. प्रदूषण का समाधान अधिक इलेक्ट्रिक बस तैनात करने, नियमित अंतराल पर बस की उपलब्धता और दिल्ली मेट्रो की तरह स्टॉप पर बसों के आगमन का समय दिखाने वाली डिजिटल समय सारणी रखने में निहित है ताकि लोग तदनुसार योजना बना सकें.'
2016 में ऑड-ईवन से सिर्फ 2-3% कम हुआ था प्रदूषण
पर्यावरणविद् भवरीन कंधारी ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए हैं. उन्होंने कहा कि ऐसे उपायों को एक सप्ताह के लिए लागू करने के बजाय, पूरे वर्ष लागू किया जाना चाहिए. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT)-दिल्ली के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन में पाया गया था कि जब जनवरी 2016 में पहली बार यह नियम लागू किया गया था, तब वायु प्रदूषण में केवल दो से तीन प्रतिशत की कमी आई थी.
(इनपुट- न्यूज़ एजेंसी भाषा)