Delhi Violence: कोर्ट ने कहा- लगता है पुलिस ही आरोपियों को बचा रही, लगाया 25 हजार का जुर्माना
Delhi Violence: कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस की कार्रवाई चौंकाने वाली है. पुलिस ने बिना जांच किए आरोपियों को क्लीन चिट कैसे दे दी?
नई दिल्ली: दिल्ली हिंसा (2020 Delhi Violence) मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट (Karkardooma Court) ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) पर लगाया 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि पूरा मामला देखने के बाद ऐसा लगता है कि पुलिस ही आरोपियों को बचा रही है.
दिल्ली पुलिस को फटकार
मंलगवार को कड़कड़डूमा कोर्ट की सेशन कोर्ट ने दिल्ली हिंसा (2020 Delhi Violence) के एक मामले पर फैसला सुनाते हुए कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपना काम सही तरीके से नहीं किया. ऐसा लगता है कि पुलिस ही आरोपियों को बचा रही है. पुलिस ने इस मामले में बड़ा ही ढीला रवैया अख्तियार किया. लिहाजा, नाराज कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया.
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पुलिस पर लगा भारी भरकम जुर्माना
आपको बता दे कि मोहम्मद नासिर (Mohammad Nasir) को 24 फरवरी, 2020 को दिल्ली में हुए दंगों के दौरान आंख में गोली लगी थी. मोहम्मद नासिर की शिकायत पर FIR न दर्ज करने को लेकर कोर्ट ने दिल्ली पुलिस पर 25000 का जुर्माना लगाया है.
पुलिस के ढीले रवैये से कोर्ट नाराज
मोहम्मद नासिर ने 19 मार्च, 2020 को अपने पड़ोस के 6 लोगों (नरेश त्यागी, सुभाष त्यागी, उत्तम त्यागी, सुशील और नरेश गौर) के खिलाफ उसे गोली मारने की शिकायत दर्ज कराई थी. दिल्ली पुलिस पर मोहम्मद नासिर ने अरोप लगाया था कि दिल्ली पुलिस ने बिना जांच किए नासिर की शिकायत को दूसरी FIR में जोड़ दिया, जिससे उसका कोई लेना देना नहीं था.
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क्या है पूरा मामला
मोहम्मद नासिर ने 17 जुलाई 2020 को दिल्ली पुलिस द्वारा उसकी शिकायत न दर्ज करने को लेकर कड़कड़डूमा कोर्ट का रुख किया. 21 अक्टूबर 2020 को कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को मोहम्मद नासिर की शिकायत पर FIR दर्ज करने के आदेश दिए. इसके बाद 29 अक्टूबर 2020 को दिल्ली पुलिस मेट्रोपॉलिटन कोर्ट के आदेश के खिलाफ सेशन कोर्ट पहुंची. सेशन कोर्ट ने मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट द्वारा FIR करने के आदेश को स्टे किया और पूरे मामले में सुनवाई शुरू की.
मंगलवार यानी 13 जुलाई 2021 को कोर्ट ने इस पूरे मामले में दिल्ली पुलिस को जबरदस्त फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि दिल्ली पुलिस ने इस पूरे मामले की जांच बहुत ढिलाई और निष्ठुर होकर की है. पूरे मामले को देखने पर समझ आता है कि पुलिस ही आरोपियों को बचाने का काम कर रही थी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस कमिश्नर को भी निर्देशित किया कि ऐसे मामलों में जांच बहुत सही तरीके से की जाए. कोर्ट ने कहा कि शिकायतकर्ता पुलिस के खिलाफ कोर्ट जा सकता है.