उपसभापति की मुलाकात पर चर्चा, ट्विटर पर कहीं मन की बात तो कहीं यूं निकली नाराजगी
किसानों के मुद्दों से जुड़े बिल को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग जारी है.
नई दिल्ली : किसानों के मुद्दों से जुड़े बिल को लेकर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच जुबानी जंग जारी है. इस बीच राज्यसभा के उपसभापति (Deputy Chairman of the Rajya Sabha) हरिवंश नरायण सिंह (Harivansh Narayan Singh) ने राज्यसभा से निलंबित आठों सांसद जो रातभर गांधी प्रतिमा के सामने धरने पर बैठे थे उनसे बात की.
मुलाकात के बाद नेताओं की प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. कई नेताओं ने अपने अपने तरीके से ट्विटर पर अपनी बात रखी.
कांग्रेस के नेता आनंद शर्मा ने ट्वीट करते हुए कहा कि नियमों का उल्लंघन कराने के साथ बिल पास कराने के बाद डिप्टी स्पीकर संसदीय लोकतंत्र की दुहाई दे रहे हैं. उनका सांकेतिक उपवास एक दिखावा भर है.
अमेठी से सांसद और केंद्र सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी ने भी राज्यसभा के उपसभापति के उदाहरण पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्हे लोकतंत्र की मर्यादा का निर्वहन करने वाला अधिकारी बताया.
उन्होने ट्वीट किया कि 'राज्यसभा उपसभापति हरिवंश जी ने अपना अपमान करने वालों को जो आदर दिया है वह उनके बड़प्पन और उदारता को दर्शाता है. लोकतंत्र को लज्जित करने वालों के समक्ष हरिवंश जी ने उत्तम उदाहरण रखा है. समाज कल्याण व पत्रकारिता के साथ साथ अब संसद में भी मिसाल कायम करने पर उन्हें नमन करती हूं.'
यूपी सीएम ने कहा धर्म का हुआ पालन
वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपसभापति की व्यवहार कुशलता और मर्यादित आचरण को लेकर उनकी तारीफ करते हुए ट्वीट किया, वहीं विपक्ष के नेताओं के लिए भी लगे हाथ प्रार्थना कर दी.
सीएम योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्वीट में लिखा कि, 'भगवान बुद्ध का संदेश है कि 'अपमान पर उत्तेजित होने के स्थान पर स्वयं को संतुलित रखना ही श्रेयस्कर है. यही धर्म है.' और राज्यसभा के मा. उप सभापति श्री हरिवंश जी ने अपमान के प्रतिउत्तर में प्रेम और आदर का जो उदाहरण प्रस्तुत किया है, वह अनुपम है, प्रेरणास्पद है. सबको सन्मति दे भगवान!'
दिल्ली सीएम ने जताई अपनी नाराजगी
वहीं आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवार ने ट्वीट में लिखा, संजय सिंह जी और अन्य सांसद रात भर संसद परिसर में देश के किसानों के लिए संघर्ष करते रहे. मच्छर, गर्मी और अन्य असुविधाओं की परवाह किए बग़ैर किसानों के लिए लड़ते रहे. वे अपने लिए कुछ नहीं मांग रहे. वो जनतंत्र और संविधान के लिए लड़ रहे हैं.
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