नई दिल्ली/वैंकूवर: भारत में चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में हिंदुस्तान को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है. इसका खुलासा स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग के उस ट्वीट के बाद हुआ था, जिसमें ग्रेटा ने एक टूलकिट जारी किया था. इस टूलकिट में भारत सरकार पर दबाव बनाने के लिए कई चरण में कार्ययोजना पेश की गई थी. इस टूलकिट को बनाने के लिए मो धालीवाल का नाम सामने आ रहा है, जो पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का को-फाउंडर है. 


क्रिएटिव एजेंसी का डायरेक्टर


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मो धालीवाल (Mo Dhaliwal) वैंकूवर बेस्ड डिजिटल क्रिएटिव एजेंसी स्काईरॉकेट का फाउंडर और डायरेक्टर है. उसकी सोशल मीडिया प्रोफाइल से पता चला है कि वो ब्रिटिश कोलंबिया के इरेजर वैली विश्वविद्यालय से पढ़ा है, जहां उसने बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन में डिप्लोमा कोर्स किया है. 


पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन का को-फाउंडर


मो धालीवाल पोएटिक फॉर जस्टिस फाउंडेशन का को-फाउंडर हैं. पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के बनाए विवादित टूलकिट को ही ग्रेट थनबर्ग ने अपने ट्विटर हैंडल से शेयर किया था. ये पहली बार नहीं है, जब धालीवाल का नाम सुर्खियों में है. उसका नाम साल 2017 में कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के स्लोगन 'लव एंड करेज' के पीछे भी आया था. ये कैंपेन जगमीत सिंह के लिए चलाया गया था.


खालिस्तान मूवमेंट का समर्थक


इससे पहले सितंबर 2020 में धालीवाल ने अपने फेसबुक अकाउंट पर एक पोस्ट किया था, जिसका कैप्शन था, 'मैं खालीस्तानी हूं. आप शायद मेरे बारे में ये नहीं जानते. क्यों? क्योंकि खालिस्तान एक आईडिया है. खालिस्तान एक लिविंग, ब्रीदिंग मूवमेंट है. धालीवाल ने 17 सितंबर 2020 को एक पेटिशन कैंपेन चलाया था, जो ओटावा बेस्ट पब्लिक थिंक टैंक मैक्डोनाल्ट-लॉरियर इंस्टीट्यू की रिपोर्ट 'खालिस्तान: ए प्रोजेक्ट ऑफ पाकिस्तान' के विरोध में था. 


मो धालीवाल का अतीत


मो धालीवाल (MO Dhaliwal) कनाडा के वैंकूवर में रहता है और उसका चाचा खालिस्तानी आतंकी रह चुका है, जिसे पंजाब पुलिस ने 1984 में एनकाउंटर में मार गिराया था. 26 जनवरी 2021 को भी धालीवाल ने कनाडा में स्थित भारतीय कॉन्सुलेट्स के सामने प्रदर्शन किया था और कहा था कि असली लड़ाई भारत के टुकड़े करना है.


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पहले भी चर्चा में रहा है धालीवाल


मो धालीवाल हालिया समय में उस टूलकिट डॉक्यूमेंट की वजह से चर्चा में आया है, जिसे स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने ट्विटर पर शेयर किया. बताया जाता है कि इस टूलकिट को धालीवाल ने ही तैयार किया है, जो भारत में चल रहे किसान आंदोलन की आड़ में खालिस्तान के समर्थन में मूवमेंट चलाने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. यही नहीं, बाद में एक वीडियो क्लिप सामने आया है, जिसमें वो प्रदर्शन के लिए लोगों को उकसाते दिख रहा है. साथ ही भारत के गणतंत्र दिवस के दिन अलगाववादियों को हिंसा के लिए उकसाता है. 


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