श्रीनगर : विपक्षी नेशनल कांफ्रेंस ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा कि वर्तमान में घाटी में चल रही अशांति विकास की कमी के कारण नहीं है बल्कि कश्मीर समस्या का समाधान नहीं होना केंद्र की अनिच्छा के कारण है।


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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण पर जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘समस्या यह है कि यह स्वीकार नहीं किया जा रहा है कि विकास से सभी समस्याओं का समाधान नहीं हो सकता।’ वह मध्यप्रदेश के भाभरा में प्रधानमंत्री के भाषण पर प्रतिक्रिया दे रहे थे। प्रधानमंत्री ने भाभरा में कहा, ‘जम्मू-कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के नेतृत्व वाली सरकार हो या केंद्र सरकार, हम विकास के माध्यम से सभी समस्याओं का समाधान कर रहे हैं।’ प्रधानमंत्री के भाषण के तुरंत बाद उमर ने केवल इतना ही ट्वीट किया -- ‘अंतत:।’ लेकिन इसके बाद के ट्वीट में उन्होंने मोदी के विकास के विचार से नाखुशी जताई कि कश्मीर के जटिल मुद्दे सहित सभी समस्याओं का रामबाण इलाज विकास है।


नेशनल कांफ्रेंस का कहना है कि कश्मीर समस्या राजनीतिक है न कि महज कानून-व्यवस्था की समस्या है जिसमें सभी संबंधित पक्षों से वार्ता की जरूरत है। उमर ने अपने ट्वीट के माध्यम से केंद्र की इस अवधारणा को गलत बताया कि विकास से कश्मीर समस्या का समाधान किया जा सकता है।


अब्दुल्ला ने क्षेत्र में सतत शांति के लिए नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच निरंतर बातचीत का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच कश्मीर पर निरंतर, विस्तृत राजनीतिक वार्ता न केवल जटिल कश्मीर मुद्दे के सहज एवं चिरस्थायी समाधान के लिए बल्कि उपमहाद्वीप में सतत शांति एवं स्थिरता के लिए अनिवार्य है।’ अब्दुल्ला ने कहा कि यह देखकर अच्छा लगा कि नयी दिल्ली में कुछ केन्द्रीय नेताओं ने अब समस्या की राजनीतिक प्रकृति के बारे में बात की, लेकिन यह देखकर दया आती है कि जब वार्ताकारों की रिपोर्ट और सगीर कमेटी रिपोर्ट चर्चा और क्रियान्वयन के लिए उपलब्ध हुई तो उन्होंने इसे अपना समर्थन नहीं दिया।


उन्होंने कहा कि जो केन्द्रीय नेता आज कश्मीर मुद्दे पर राजनीतिक समाधान की वकालत कर रहे हैं, उन्होंने इस मुद्दे से सामरिक तरीके से निपटने के जांचे परखे फार्मूले को पारंपरिक रूप से मौन सहमति दी है। अब्दुल्ला ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कश्मीर की जनता की तरफ राजनीतिक पहुंच की पहल का व्यक्तिगत रूप से नेतृत्व करना चाहिए और महसूस करना चाहिए कि कैसे चुप्पी और अक्रियता का हर गुजरता दिन कश्मीर के युवाओं को भारत के विचार से दूर ले जा रहा है ओर उनके दिलो दिमाग में निराशा की भावना पैदा कर रहा है।