नई दिल्ली: कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के साथ-साथ प्रदूषण (Pollution) का असर त्योहारों पर भी पड़ रहा है. कोरोना को ध्यान में रखते हुए इस साल बहुत कम दुर्गा पूजा पंडाल (Durga Puja Pandal) लगाए गए. वहीं मूर्ति विसर्जन को लेकर भी नए नियम बनाए गए है. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के तहत यमुना (Yamuna) नदी में मूर्ति विसर्जन (Murti Visarjan) नहीं किया जा सकेगा.


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वहीं इस साल दिल्ली सरकार (Delhi Governmenet) ने भी मूर्ति विसर्जन के लिए आर्टिफिशियल तालाबों (Artificial Ponds) की व्यवस्था नहीं की है. ऐसे में मूर्ति विसर्जन की सारी जिम्मेदारी दुर्गा पूजा समिति के आयोजकों के ऊपर होगी.


जुलूस, रैलियों और मेलों पर रोक


डीडीएमए (DDMA) ने आयोजकों को सार्वजनिक स्थानों पर पंडाल स्थापित करने और जश्न मनाने की अनुमति दी है, लेकिन आयोजन स्थलों के आसपास जुलूस, रैलियों और मेला आयोजन पर रोक लगा दी गई है. इसी नियम को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के सी आर पार्क में पंडाल के पास ही एक गड्ढा खोदा गया है जिसमें पानी भरा जाएगा. मूर्ति विसर्जन के बाद उसे मिट्टी की मदद से भर दिया जाएगा. ऐसे में सीआर पार्क डी ब्लॉक दुर्गा पूजा कमेटी के सेक्रेटरी सुजॉय घोष ने कहा कि हमने इस बार कोरोना और प्रदूषण को ध्यान में रखते हुए सारी तैयारियां की है. हमारी मूर्ति भी इको फ्रेंडली (Devi Durga Eco Friendly Idol) है. जिसे हम पंडाल के अंदर ही विसर्जित करेंगे.



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'आर्टिफिशियल तालाब का इंतजाम नहीं'


यमुना में प्रदूषण के कारण NGT ने पहले ही मूर्ति विसर्जन पर रोक लगा दी थी. जिसके बाद दिल्ली सरकार ने साल 2018 और 2019 में मूर्ति विसर्जन करने के लिए Artificial Ponds की व्यवस्था की थी. कोरोना के कारण पिछले साल भी सार्वजनिक दुर्गा पूजा मानने पर पाबंदी लगाई गई थी. इस साल भी कोरोना को ध्यान में रखते हुए दिल्ली के बहुत ही कम इलाको में दुर्गा पूजा पंडालों को मूर्ति स्थापित करने की अनुमति दी गई है.


जिसके बाद दर्शन के लिए आ रहे लोग भी पंडाल लगने से खासा उत्साहित है. इस साल दुर्गा पूजा 11 से 15 अक्टूबर के बीच मनाई जा रही है. वही मूर्ति विसर्जन 15 अक्टूबर को किया जाएगा. मूर्ति विसर्जन के समय कोई रैली निकालने की अनुमति नहीं दी गई है. जिसके कारण मूर्ति को विसर्जन के लिए बने तय स्थानों पर पंडाल के आस पास ही विसर्जित कर दिया जाएगा.