UP News: प्रयागराज के धीरज कुमार ने पहले ही प्रयास में जईई-मेन्स क्लियर कर अपने माता-पिता के संघर्ष को सार्थक कर दिया है. धीरज फूलपुर इलाके के हरभनपुर गांव का रहने वाला है. बचपन में ही उसके पिता का देहांत हो गया था और मां ने खेत में मजदूरी कर परिवार का लालन पालन किया है.  


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धीरज ने इंस्टीट्यूट ऑफ इंजिनियरिंग एंड रूरल टेक्नॉलजी (IERT) प्रयागराज के कंप्यूटर साइंस डिपार्टमेंट में प्रवेश लिया. धीरज को ऐडमिशन जेईई मेन्स रैंक के आधार पर मिला है. हालांकि धीरज के लिए यहां तक पहुंचने का सफर संघर्षों से भरा है.


संघर्ष से सफलता तक का सफर 
धीरज जब 11 साल का था तो उनके पिता की ब्लड कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई. मां ने किसी तरह कोशिश कर इलाज के लिए कुछ पैसों का इंतजाम किया लेकिन यह नाकाफी था. इसके बाद धीरज के परिवार की मुश्किलें बहुत बढ़ गईं. हालांकि मां ने हार नहीं मानी और खेतों में गेहूं की कटाई का काम करती रहीं. धीरज के बड़े भाई को एक नौकरी तो मिली लेकिन वेतन काफी कम था.  


टीचर ने की धीरज की मदद
धीरज ने प्रयागराज में 9वीं से 12वीं कक्षा तक स्कूली पढ़ाई पूरी की यहां उन्हें टीचर अभिषेक शुक्ला का साथ मिला है. अभिषेक ‘शुरुआत’ नाम की एक संस्था चलाते हैं जो कि आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों की मदद करती है.


अभिषेक ने ही धीरज की प्रतिभा को पहचान उनका एडमिशन राजकीय इंटर कॉलेज में करवाया. धीरज ने भी निराश नहीं किया और 10वीं क्लास में 84% और 12वीं में 75% अंक हासिल किए. धीरज की जिंदगी में अभिषेक सच्चे गुरू के तौर पर आए. अभिषेक ने धीरज की पढ़ाई का सारा खर्च उठाया. यहां तक कि अभिषेक को आईसी छात्रावास में सीट दिलाई क्योंकि प्रयागराज में आने पर धीरज हरि नगर की झुग्गियों में रह रहा था. धीरज के ऐडमिशन की फीस भी अखिलेश ने भरी है. धीरज को अब आगे स्कॉलरशिप मिलेगी.


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