Bageshwar Dham News: बागेश्वर धाम में क्या करने पहुंचे थे शिवरंजनी के पापा, धीरेंद्र शास्त्री से चाहते थे डील; फिर हुआ ये
Dhirendra Shastri: करोड़ों लोगों की आस्था के केंद्र बागेश्वर धाम के बारे में लोग हर बात जानना चाहते हैं. इस बीच कुछ समय पहले धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री को प्राणनाथ बताकर सुर्खियों में आई एमबीबीएस की छात्रा शिवरंजिनी तिवारी के पिता और बाबा की एक पुरानी मुलाकात की चर्चा हो रही है.
Dhirendra Shastri Shivranjani Tiwari: भक्तों का पर्चा निकालकर उनकी समस्याओं का समाधान करने वाले बागेश्वर बाबा धीरेंद्र शास्त्री अपना अज्ञातवास पूरा करके लौट आए हैं. अब उनकी यूपी के ग्रेटर नोएडा में कथा और दिव्य दरबार की जानकारी आने से कुछ समय पहले बागेश्वर धाम पहुंची शिवरंजिनी तिवारी के पिता बैजनाथ तिवारी और धीरेंद्र शास्त्री की एक पुरानी मुलाकात की चर्चा हो रही है. जानकारी के मुताबिक पिछले साल नवंबर में शिवरंजनी तिवारी के पिता बैजनाथ तिवारी का एक तेल के व्यापार को लेकर बागेश्वर धाम के सेवादारों से कुछ विवाद हो गया था. अब वही किस्सा एक बार फिर सामने आया है.
बागेश्वर धाम क्यों गए थे शिवरंजिनी के पिता
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शिवरंजिनी के पिता बैजनाथ तिवारी अपने बेटे के साथ बीते साल नवंबर में बागेश्वर धाम गए थे. वो घुटनों और पीठ दर्द का तेल (मार्कंडेय तेल) बनाते हैं. वो अपने साथ अपने प्रोडक्ट को वहां पर बेचने के लिए लाए थे. बताया जा रहा है कि उन्होंने अपनी टीम के साथ दरबार और आस-पास उस आयुर्वेदिक तेल को 100 रुपये प्रति शीशी के हिसाब से बेचा. जिससे उन्हें काफी मुनाफा हुआ तो उन्होंने उस धनराशि को धाम में चढ़ाने का ऑफर देते हुए बाबा के साथ एक डील करने की कोशिश की जो नाकाम रहीं.
विवाद की वजह
रिपोर्ट्स के मुताबिक एमबीबीएस छात्रा के पिता ने सोचा अगर बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री से बात करके तेल की ब्रांडिंग हो जाए तो उन्हें काफी फायदा हो सकता है. बताया जा रहा है कि वो इस मकसद से सेवादारों के जरिए बाबा से मिले और अपना प्रस्ताव रखा जिसे बाबा ने इनकार कर दिया. कहा जा रहा है कि पहले उन्होंने धाम में वो तेल निशुल्क बांटने की बात कही थी लेकिन वो उसके पैसे ले रहे थे. इस बात पर विवाद हुआ था. हालांकि इस दावे पर बागेश्वर धाम की ओर से कभी कोई बात नहीं कही गई. इस वाकये की जानकारी कुछ समय पहले शिवरंजिनी और उनके पिता ने मीडिया को दी थी जब वो गंगोत्री धाम से कलश यात्रा लेकर बागेश्वर धाम पहुंची थीं.