Digital Gujarat की नई पहल, अब QR स्कैन कोड की मदद से मिलेंगे मेले में खोए बच्चे
Matra milan project: अंबाजी मेले में परिवार से बिछड़े या गुम हुए बच्चों का परिवार के साथ सुखद मिलन कराने के लिए अनोखा ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया है. इसके अंतर्गत हर बच्चे को एक क्यूआर कोड कार्ड पहनाया जाता है.
Gujarat govt project for lost children: गुजरात ने डिजिटल इंडिया की राह पर एक और कदम बढ़ाते हुए अनोखा प्रोजेक्ट शुरू किया है. ये प्रोजेक्ट मेले में खो गए बच्चों को उनके माता-पिता तक पहुंचाने में मदद करेगा और ये सब एक छोटे से QR स्कैन कोड की मदद से मुमकिन हो पाएगा. गुजरात सरकार ने अंबाजी धाम में भादरवी पूनम मेले के दौरान इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की है. इस मेले में हर साल गुजरात सहित देश भर के श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. मां अंबा के दर्शन के लिए इस साल भी लाखों की तादाद में लोग मेले में पहुंच रहे हैं. गुजरात सरकार के नेतृत्व में पवित्र यात्राधाम बोर्ड ने पवित्र धार्मिक स्थलों पर हर तरह की सुविधाएं विकसित की हैं ताकि तीर्थयात्रियों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े. भक्तों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार की ओर से बेहतर कदम उठाए जा रहे हैं जिसमें ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ बेहद ख़ास है.
तीर्थयात्रियों के लिए QR कोड की पहल
इस बार अंबाजी में तीर्थयात्रियों को किसी तरह की दिक्कत का सामना न करना पड़े, इसके लिए क्यूआर कोड टेक्नोलॉजी की पहल की गई है. इसे स्कैन करने पर सरकार द्वारा की गई सभी व्यवस्थाओं और उनके स्थलों के बारे में पूरी जानकारी उपलब्ध होगी.
‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ का आयोजन
अंबाजी मेले में परिवार से बिछड़े या गुम हुए बच्चों का परिवार के साथ सुखद मिलन कराने के लिए अनोखा ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ शुरू किया गया है. जिला प्रशासन और वोडाफोन आइडिया की साझी पहल से ‘मातृमिलन प्रोजेक्ट’ का आयोजन किया गया है. इसके अंतर्गत हर बच्चे को एक क्यूआर कोड कार्ड पहनाया जाता है. इस क्यूआर-स्केन कोड में बच्चे के अभिभावक का मोबाइल नंबर जोड़कर लॉक किया जाता है.
इस डिजिटल पहल की मदद से मेले में गुम हुई महिसागर जिले की दो बेटियों का उनकी माता के साथ सुखद मिलन कराया गया. अपने परिवार के साथ पैदल चलकर मां अंबा का दर्शन करने पहुंचीं नेहा प्रजापति ने कहा कि कोरोना के दो साल के बाद जब इस तरह से आयोजन किया जा रहा है, यह भक्तों के लिए विशेष है. अब फोरलेन सड़कों की सुविधा से लेकर यातायात का नियमन भी इस तरह किया जा रहा है कि पदयात्री श्रद्धालुओं को किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े. सरकार की ओर से की गई विसामा (आराम स्थल) और राहत कैंप की व्यवस्था के कारण बिना थकावट महसूस किए अंबाजी पहुंचकर मां के दर्शन का लाभ ले पाए हैं.
श्रद्धालुओं के लिए ये खास सुविधाएं
QR कोड स्कैन और मातृमिलन प्रोजेक्ट के अलावा भक्तों के लिए और भी कई सुविधाएं मेले में उपलब्ध कराई गई हैं. सेप्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन (सीआरडीएफ) ने यात्रियों के रहने के लिए, पार्किंग सुविधा की डिजाइन और अनाउंसमेंट सिस्टम पर भी काम किया है. राज्य के कोने-कोने से आने वाले लाखों पदयात्रियों के लिए अंबाजी मार्ग पर सेवा कैंप का विशेष आयोजन किया गया है.
सेवा कैंप में श्रद्धालुओं के लिए चाय-नाश्ता, मेडिकल सेवा कैंप, मालिश कैंप, आराम व्यवस्था और रात्रि विश्राम के लिए व्यवस्थाएं की गई हैं. कोरोना काल के दो वर्षों के बाद आयोजित हो रहे मेले को लेकर माई भक्तों में ज़बरदस्त उत्साह देखा जा रहा है. श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सीआरडीएफ (सेप्ट रिसर्च एंड डेवलपमेंट फाउंडेशन) द्वारा इस वर्ष पवित्र यात्राधाम बोर्ड के साथ मिलकर तथा विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर अंबाजी में यात्री सुविधा के आयोजन की समीक्षा की जा रही है. गुजरात के बनासकांठा ज़िले के अंबाजी धाम में यह छह दिवसीय महामेला 10 सितंबर तक चलेगा.
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