Pakistan: लश्कर ए तैयबा , इस्लामिक स्टेट और अलकायदा जैसे आतंकी संगठनों के निशाने  पर भारत हमेशा से रहा है लेकिन देश में अब पिछले कुछ सालों से  डिजिटल जिहाद का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. देश से बाहर बैठे आतंकी युवाओं को ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड कर आतंकी बना रहे हैं. सोशल मीडिया पर बढ़ते जिहाद पर लगाम लगाने के लिए अब सुरक्षा एजेंसियों ने कमर कस ली है.  दिल्ली में इस महीने 20 से लेकर 22 जनवरी तक चली सभी राज्यों के साथ पुलिस प्रमुखों की बैठक में जहां देश के आंतरिक सुरक्षा को लेकर तीन दिन अहम मंथन हुई वहीं इस बैठक में ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन के बढ़ते खतरे पर लगाम लगाने के लिए रणनीति बनाई गई.


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सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तान में लश्कर सरगना हाफिज सईद के कराची और लाहौर के दफ्तरों में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत के खिलाफ डिजिटल जिहाद की साजिश को अंजाम देने के लिए सैकड़ों की संख्या में  Tech Savvy एक्सपर्ट को काम पर लगाया है. जिन्हें बाकायदा हर महीने 12 हज़ार रुपये से लेकर 20 हज़ार रुपये तक कि सैलरी दी जाती है. सोशल मीडिया पर सक्रिय आईएसआई के ये एजेंट हाफिज सईद के सोशल मीडिया आर्मी का इश्तेमाल कर भारत में आनलाईन जिहाद की साजिश में लगे हुए हैं. आईएसआई के एजेंट कश्मीर में ऑनलाइन जिहाद और आतंकियों के पक्ष में सोशल मीडिया पर भारत के खिलाफ मुहिम चला रहे है.  खुफिया एजेंसियों के मुताबिक हाफिज सईद के जमात उल दावा से जुड़े कुल 16 इस्लामिक संस्थानों के साथ-साथ 135 स्कूलों के बारे में भी जानकारी मिली है. 


जानकारी के मुताबिक लश्कर ए तैयबा के साथ-साथ अलकायदा और इस्लामिक स्टेट के आतंकी भी कश्मीर, असम, केरल, बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन कर युवाओं को आतंक की राह में धकेलने में लगे हुए हैं.


डिजिटल जिहाद पर नजर रखने वाले सुरक्षा एजेंसियों से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड करने के लिए आतंकी खास तरीका इस्तेमाल कर रहे हैं. ई-जिहादी बनाने के लिए आतंकियों ने चार तरीके का लेयर सिस्टम बनाया हुआ है. पहला लेयर जिसे कोर कहा जाता है उसमें बेहद ट्रेंड और भरोसेमंद ई-जिहादियों को रखा जाता है. कोर टीम में शामिल ई-जिहादी पूरे ऑपरेशन की  प्लानिंग तैयार करते हैं.  दूसरे लेयर Inner-Medium कहा जाता है उसमें उन ई-जिहादियों को रखा जाता है जिन्हें कोर टीम के तैयार किये गये ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड मैटेरियल को सोशल मीडिया पर डिस्ट्रीब्यूट करते हैं.


Inner-Medium में शामिल मेंबर के सोशल मीडिया पर अकाउंट होते हैं जो ऑनलाइन जिहाद से जुड़े फोटो वीडियो और जानकारियों को शेयर करते हैं. इसके बाद तीसरा लेयर जिसे मीडियम कोर कहा जाता है. मीडियम कोर में उन लोगों को शामिल किये जाते हैं जिन्हें ऑनलाइन रेडिकलाइज्ड आसानी से किया जा सकता है. इसके बाद सबसे बाहरी लेयर आउटर कोर होता है. आउटर कोर में शामिल ई-जिहादी ऑनलाइन कंटेंट के पैसिव रिसीवर (Passive Receiver) होते हैं. ऐसे लोग ऑनलाइन कंटेंट वाले पोस्ट को सिर्फ फालो करते हैं और कई बार वो किसी मकसद के लिए साजिश में शामिल होने के लिए तैयार हो जाते हैं.


जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन कंटेंट के जरिये युवाओं का पहले ब्रेन वाश किया जाता है और उसके बाद उन्हें आतंकी बनने के लिए उकसाया जाता है. सिक्योरिटी एजेंसियों के लिए भी कई बार ऐसे युवाओं की पहचान करनी मुश्किल हो जाती है जो डिजिटल जिहाद के शिकार हो चुके हैं. कई बार ऐसे जिहादी लोन वोल्फ यानि बिना किसी के मदद के ही अकेले आतंकी हमले की साजिश रचने में लग जाते हैं. पिछले कुछ महीनों में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी ( एनआईए)  डिजिटल जिहाद से जुड़ी कई साजिशों को नाकाम कर चुकी है.


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